जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्थित बापू की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। उन्होंने CJI की कुर्सी पर बैठने से पहले अपने केबिन में तिरंगे को नमन भी किया। उन्होंने सीजेआई यूयू ललित की जगह ली है, जो आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले छह नवंबर को सीजेआई यूयू ललित को औपचारिक सेरेमोनियल बेंच गठित कर विदाई दी गई थी। शपथ ग्रहण के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, देश की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है। हम भारत के सभी नागरिकों के हितों की रक्षा करेंगे। चाहे वह तकनीक हो, रजिस्ट्री सुधार हो या न्यायिक सुधारों के मामले में हों। आपको बता दें की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस उदय उमेश ललित का स्थान लिया है। जिन्होंने 11 अक्टूबर को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। जस्टिस चंद्रचूड़ को जून, 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से सीनियर अधिवक्ता नामित किया गया था और उसी साल वो अतिरिक्त सालिटियर जनरल नियुक्त किए गए थे। धनंजय वाई. चंद्रचूड़ के पिता लगभग सात साल और चार महीने तक भारत के मुख्य न्यायधीश रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी CJI का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक मुख्य न्यायाधीश रहे। यह पहली बार होगा जब पिता के बाद बेटा भी भारत का मुख्य न्यायधीश बनेगा। अब पिता की विरासत को संभालने के लिए न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ भी उनके ही नक्शे कदमों पर चल रहे हैं। चंद्रचूड़ अपने कई ऐतिहासिक फैसलों को लेकर चर्चा में रहे हैं। बता दें कि देश के 50वें मुख्य न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ बड़े ही धैर्य से मामलों की सुनवाई करते हैं। कुछ दिन पहले ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने लगातार दस घंटे तक सुनवाई की थी। सुनवाई पूरी करते हुए उन्होंने कहा भी था कि कर्म ही पूजा है। कानून और न्याय प्रणाली की अलग समझ की वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ ने दो बार अपने पिता पूर्व चीफ जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के फैसलों को भी पलटा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली
RELATED ARTICLES