दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि इतिहास ऑनर्स के पाठ्यक्रम में बाबरनामा और मनुस्मृति शामिल नहीं किए जाएंगे। प्रशासन ने इस विवाद पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया दी। पूरी जानकारी पढ़ें।
‘ना बाबरनामा पढ़ाएंगे, ना मनुस्मृति’ – डीयू ने इतिहास ऑनर्स के सिलेबस विवाद पर दी दो-टूक प्रतिक्रिया
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के हिस्ट्री ऑनर्स पाठ्यक्रम में बाबरनामा (तुजुक-ए-बाबरी) और मनुस्मृति को शामिल करने के प्रस्ताव पर विवाद खड़ा हो गया था। यह बदलाव चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUP) के सातवें सेमेस्टर में किए जाने की योजना थी। लेकिन जैसे ही यह प्रस्ताव सामने आया, छात्रों और शिक्षकों के एक वर्ग ने इस पर कड़ा विरोध जताया और इसे हटाने की मांग की।
छात्रों और शिक्षकों ने जताई आपत्ति
छात्रों और शिक्षकों का कहना था कि इन ग्रंथों को पाठ्यक्रम में जोड़ना इतिहास के नाम पर नया विवाद खड़ा करने जैसा है। कई शिक्षकों ने इसे शिक्षा के मूल उद्देश्य से भटकाने वाला बताया और विश्वविद्यालय प्रशासन से इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया।
- कुछ छात्रों का मानना था कि यह एकतरफा विचारधारा को बढ़ावा देने का प्रयास है।
- वहीं, कुछ अन्य ने कहा कि इतिहास की समग्र समझ के लिए विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन जरूरी है।
DU प्रशासन की आधिकारिक प्रतिक्रिया
विवाद के बीच, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर विकास गुप्ता ने ABP न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा:
“ना हम बाबरनामा पढ़ाएंगे और ना ही मनुस्मृति को पढ़ाएंगे। हमारे पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है और इसे एकेडमिक काउंसिल (AC) व एक्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) में पास नहीं किया जाएगा।”
विवादास्पद बदलावों पर सख्त रुख
प्रोफेसर गुप्ता ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी विवादास्पद विषय को पाठ्यक्रम में जबरदस्ती जोड़ने के प्रयासों को स्वीकार नहीं करेगा। यदि किसी शिक्षक द्वारा ऐसे बदलाव लागू करने की कोशिश की जाती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों को संतुलित शिक्षा देना प्राथमिकता
दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि:
- छात्रों को व्यापक और संतुलित शिक्षा देना उनकी प्राथमिकता है।
- कोई भी नया विषय या पुस्तक तभी जोड़ी जाएगी जब वह शिक्षण और अनुसंधान की दृष्टि से उपयोगी हो।
- विश्वविद्यालय किसी भी राजनीतिक या वैचारिक विवाद में नहीं फंसना चाहता।
निष्कर्ष
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने इतिहास ऑनर्स पाठ्यक्रम में बाबरनामा और मनुस्मृति को शामिल करने की खबरों को खारिज कर दिया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह प्रस्ताव उनके पास नहीं आया है और इसे स्वीकृति नहीं दी जाएगी। साथ ही, यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि शैक्षणिक पाठ्यक्रम में किसी भी विवादास्पद बदलाव को जबरदस्ती लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।