बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने राजनीतिक अस्थिरता और बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर चिंता जताई। क्या गिर जाएगी यूनुस सरकार? पढ़ें पूरी खबर।
बांग्लादेश की संप्रभुता पर संकट? सेना प्रमुख के बयान से सियासी हलचल तेज
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने देश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि राजनीतिक दल आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट नहीं होते, तो इससे देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता को खतरा हो सकता है।
सेना प्रमुख ने क्यों जताई चिंता?
जनरल वकार-उज-जमान ने सैन्य समारोह में अपने संबोधन में कहा,
“हम जो अराजकता देख रहे हैं, वह हमारी ही बनाई हुई है। पुलिस अधिकारी डरे हुए हैं, क्योंकि उनके साथी मुकदमों का सामना कर रहे हैं या जेल में हैं। इस वजह से सेना पर जिम्मेदारी बढ़ गई है। समाज में बढ़ती हिंसा से देश की संप्रभुता खतरे में पड़ रही है।”
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने मतभेदों को भुलाकर देश की स्थिरता के लिए एकजुट हों।
लोगों से शांति बनाए रखने की अपील
आर्मी चीफ ने जनता से भी शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि अगर राजनीतिक अस्थिरता जारी रहती है, तो देश की स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में पड़ सकती है।
उन्होंने राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे केवल एक-दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं और इसका फायदा अराजक तत्व उठा रहे हैं। इससे छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलनों की उपलब्धियां भी खतरे में पड़ गई हैं।
चुनाव को लेकर क्या बोले सेना प्रमुख?
बांग्लादेश में चुनावों को लेकर उन्होंने कहा,
“चुनाव होने में अभी 18 महीने का समय लग सकता है। हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस इसी दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने चुनाव पर कोई सीधा बयान नहीं दिया है।”
यूनुस सरकार ने संकेत दिए हैं कि आम चुनाव इस साल के अंत या 2026 की शुरुआत में हो सकते हैं।
क्या गिर सकती है यूनुस सरकार?
बांग्लादेश में इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आर्मी चीफ का बयान सरकार के लिए चेतावनी है। अगर राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है, तो सेना का हस्तक्षेप भी संभव हो सकता है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और कानून व्यवस्था को लेकर सेना प्रमुख की चिंता से सियासी हलचल बढ़ गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यूनुस सरकार हालात को काबू कर पाती है या फिर देश में कोई बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।