Thursday, March 13, 2025
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बिहार चुनाव से पहले प्रशांत किशोर को फंडिंग को लेकर बड़ा खुलासा, जेडीयू ने उठाए गंभीर सवाल

बिहार चुनाव से पहले जेडीयू ने प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज को फंडिंग को लेकर गंभीर आरोप लगाए। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।

प्रशांत किशोर को बिहार चुनाव से पहले फंडिंग को लेकर बड़ा आरोप, जेडीयू ने उठाए गंभीर सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि उनकी पार्टी को आखिर फंडिंग कहां से मिल रही है। इस मुद्दे पर गुरुवार (06 फरवरी, 2025) को जेडीयू के नेता और प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक हिला देने वाला दावा किया।

जेडीयू का आरोप: जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन से मिल रही फंडिंग

नीरज कुमार ने दावा किया कि जन सुराज पार्टी को जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन से फंडिंग मिल रही है, जो एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। उनका कहना है कि चैरिटेबल फाउंडेशन के नाम पर राजनीतिक गतिविधियां चलाना एक बड़ी टैक्स अनियमितता का मामला हो सकता है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि इस फाउंडेशन के वित्तीय लेन-देन में भी कई गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं।

क्या प्रशांत किशोर ने खुद 50 लाख डोनेशन किया?

नीरज कुमार ने आगे सवाल उठाया कि प्रशांत किशोर ने खुद 50 लाख रुपये का डोनेशन क्यों किया था? वह यह भी जानना चाहते थे कि आखिर जन सुराज पार्टी में करोड़ों रुपये का निवेश कहां से हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह जनता के लिए जानना जरूरी है।

जन सुराज पार्टी के वित्तीय गड़बड़ियों पर उठाए सवाल

नीरज कुमार ने कहा कि जन सुराज पार्टी की स्थापना 28 अगस्त 2023 को हुई थी, लेकिन इसका औपचारिक ऐलान गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2024 को हुआ। इस दौरान प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि पार्टी के पास कोई वित्तीय कमी नहीं है, जबकि पार्टी के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रामबली सिंह ने बताया कि पार्टी का बैंक खाता नहीं है। यह विरोधाभास यह दर्शाता है कि पार्टी के वित्तीय मामलों में गड़बड़ी हो सकती है।

फाउंडेशन से मिलने वाली फंडिंग पर सवाल

नीरज कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि जन सुराज पार्टी को जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन से फंडिंग मिल रही है, जो कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है। उन्होंने बताया कि 2023-24 के दौरान इस फाउंडेशन ने ₹48.75 करोड़ का डोनेशन प्राप्त किया, लेकिन इन कंपनियों से डोनेट की गई राशि इनकी पूंजी से कहीं अधिक थी। यह गंभीर सवाल उठाता है कि क्या इस डोनेशन में कोई गड़बड़ी थी और क्या प्रशांत किशोर और जॉय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के बीच कोई वित्तीय और राजनीतिक गठबंधन है?

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