एक ताजा सर्वे में खुलासा हुआ कि 72% कनाडाई नागरिक खालिस्तान आंदोलन जैसी अलगाववादी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई के पक्ष में हैं। जानें पूरी रिपोर्ट।
क्या खालिस्तान समर्थकों के पक्ष में हैं कनाडाई लोग? सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा
ओटावा, 31 जनवरी 2025:
भारत लंबे समय से कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सरकार से इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता रहा है। इसी बीच, एक हालिया सर्वे में कनाडा के लोगों की राय सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि वे खालिस्तान आंदोलन को किस नजरिए से देखते हैं।
सर्वे के मुख्य बिंदु:
📊 लेगर 360 द्वारा किए गए इस सर्वे के अनुसार:
🔹 72% कनाडाई नागरिकों का मानना है कि अलगाववादी समूहों की गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त नीतियां लागू की जानी चाहिए।
🔹 54% कनाडाई नागरिकों ने कनाडा में खालिस्तान आंदोलन की मौजूदगी का सीधा विरोध किया।
🔹 केवल 11% ओंटारियो के नागरिकों ने खालिस्तानी आंदोलन का समर्थन किया।
क्या सिख समुदाय पर असर पड़ रहा है?
🟢 30% लोगों का मानना है कि खालिस्तानी गतिविधियों के कारण सिख समुदाय को गैर-जरूरी जांच का सामना करना पड़ता है।
🟢 33% लोगों ने इससे साफ इनकार किया।
🟢 37% लोग इस विषय पर अनिश्चित दिखे।
ओंटारियो में सबसे ज्यादा खालिस्तानी गतिविधियां
📍 कनाडा में ओंटारियो प्रांत को खालिस्तानी गतिविधियों का केंद्र माना जाता है।
📍 2021 की जनगणना के अनुसार, ओंटारियो और ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में सिख आबादी सबसे अधिक है।
📍 ब्रैम्पटन में दक्षिण एशियाई समुदाय की आबादी 52% से अधिक है।
भारत पर विदेशी चुनावों में हस्तक्षेप का आरोप?
🔸 इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत, कनाडा की चुनावी प्रक्रिया में दखल देने वाले देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है।
🔸 पहले स्थान पर चीन है, जिसे कनाडाई चुनावों में सबसे अधिक हस्तक्षेप करने वाला देश बताया गया।
🔸 भारत और कनाडा के बीच तनाव तब बढ़ा जब खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर विवाद हुआ था।
निष्कर्ष:
सर्वे के नतीजों से स्पष्ट है कि अधिकांश कनाडाई नागरिक खालिस्तान समर्थकों के पक्ष में नहीं हैं और वे अलगाववादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं। हालांकि, खालिस्तान मुद्दे को लेकर कनाडा और भारत के रिश्ते लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं