चीन ईरान को 1000 टन सोडियम पर्कलोरेट भेज रहा है, जिसका उपयोग मिसाइल ईंधन के लिए होता है। इस कदम से इजराइल और मिडिल-ईस्ट में तनाव बढ़ सकता है। जानें पूरी खबर।
चीन और ईरान की बढ़ती नजदीकियां, इजराइल की चिंता बढ़ी
चीन और ईरान के बीच मजबूत होते संबंध अब मिडिल-ईस्ट के लिए एक नई चुनौती बनते नजर आ रहे हैं। चीन ने हाल ही में 1000 टन सोडियम पर्कलोरेट ईरान को भेजने का फैसला किया है। यह केमिकल मिसाइल ईंधन के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन जल्द ही यह सामग्री ईरान को भेजने वाला है। पश्चिमी देशों के खुफिया सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस रसायन का उपयोग अमोनियम पर्कलोरेट बनाने में किया जाएगा, जो मिसाइलों के लिए ईंधन का मुख्य घटक है।
इजराइल और अमेरिका की चिंता
पिछले साल इजराइल ने ईरान के मिसाइल फ्यूल उत्पादन केंद्रों को नष्ट कर दिया था। इसके बाद ईरान को मिसाइल निर्माण में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अब चीन की मदद से ईरान इस कमी को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी बड़ी मात्रा में सोडियम पर्कलोरेट से 250 लंबी दूरी की मिसाइलें बनाई जा सकती हैं।
गोलबोन जहाज और इसकी भूमिका
यह रसायन 34 कंटेनरों में भरा गया है, जिसे ‘गोलबोन’ नामक जहाज पर लादा गया है। यह जहाज चीन के दाईशान द्वीप से रवाना हुआ है और जल्द ही ईरान पहुंचेगा। माना जा रहा है कि यह सामग्री सीधे इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (IRGC) को सौंपी जाएगी।
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद मदद
संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2023 में ईरान, चीन और हांगकांग के कई व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए थे। इन पर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रम में मदद करने का आरोप था। इसके बावजूद चीन ने ईरान को इस संवेदनशील सामग्री की आपूर्ति का निर्णय लिया है।
मिडिल-ईस्ट में बढ़ता तनाव
चीन के इस कदम ने इजराइल और मिडिल-ईस्ट के अन्य देशों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इजराइल लंबे समय से ईरान के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों के खिलाफ आवाज उठाता रहा है।
निष्कर्ष:
चीन और ईरान के बीच यह नया सहयोग मिडिल-ईस्ट में अस्थिरता को और बढ़ा सकता है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका और इजराइल इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।