संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पुराने मंदिरों और कुओं की तलाश पर आपत्ति जताई। मस्जिद कमेटी ने प्रशासन की कार्यवाही को शांति और सौहार्द के लिए हानिकारक बताया।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंची शाही जामा मस्जिद कमेटी
संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। पुराने मंदिरों और कुओं की तलाश के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मस्जिद की सीढ़ियों और प्रवेश द्वार के पास स्थित एक निजी कुएं की जांच पर कमेटी ने सख्त ऐतराज जताया है।
याचिका में क्या है मांग?
शाही जामा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि प्रशासन को बिना कोर्ट की अनुमति के किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने से रोका जाए। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि प्रशासन द्वारा किए जा रहे सर्वे और जांच कार्यों से शांति और सौहार्द को खतरा हो सकता है।
कोर्ट के पिछले आदेश
संभल की शाही जामा मस्जिद के प्राचीन हरिहर मंदिर होने के दावे पर सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पहले सर्वे का आदेश दिया था। नवंबर 2024 में दो बार सर्वे हुआ। इसके बाद 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को दिए अपने आदेश में सभी अदालतों को फिलहाल धार्मिक स्थलों के सर्वे का आदेश न देने का निर्देश भी दिया।
मस्जिद कमेटी का ऐतराज
मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद परिसर में यथास्थिति बनी हुई है। लेकिन, आस-पास के क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा प्राचीन मंदिरों और कुओं की तलाश जारी है। मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित एक निजी कुएं की भी जांच कराई गई है।
प्रशासनिक कार्यवाही पर सवाल
मस्जिद कमेटी का कहना है कि प्रशासन द्वारा की जा रही ऐसी कार्यवाही शांति और सौहार्द के लिए नुकसानदेह हो सकती है। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि मस्जिद और उसके आस-पास के इलाके में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया जाए।
निष्कर्ष
संभल शाही जामा मस्जिद और उसके आसपास के क्षेत्रों में हो रही प्रशासनिक कार्यवाहियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस विवाद को और गहराई से प्रभावित कर सकता है। मस्जिद कमेटी ने कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप कर शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।