प्रशांत किशोर को BPSC अभ्यर्थियों के समर्थन में धरना देने पर गिरफ्तार किया गया। कुछ ही घंटों बाद उन्हें कोर्ट से सशर्त जमानत मिली। जानें पूरा मामला।
प्रशांत किशोर: हिरासत से जमानत तक की कहानी
BPSC अभ्यर्थियों की मांगों के समर्थन में अनशन कर रहे जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह पटना के गांधी मैदान से हिरासत में लिया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद ही पटना सिविल कोर्ट ने उन्हें 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी।
प्रशांत किशोर की टीम ने बताया कि वे जमानत की शर्तों से सहमत नहीं हैं और उनका आमरण अनशन जारी रहेगा। उनका कहना है कि अगर युवाओं के हक की आवाज उठाना अपराध है, तो जेल जाना उन्हें स्वीकार है।
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी का कारण
पटना जिला प्रशासन के अनुसार, प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों ने गांधी मैदान के प्रतिबंधित क्षेत्र में अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दिया था।
- प्रशासन ने उन्हें निर्धारित स्थल गर्दनीबाग में धरना देने के लिए कहा था।
- प्रशासन के बार-बार आग्रह और नोटिस के बावजूद उन्होंने जगह खाली नहीं की।
- इसके कारण गांधी मैदान थाना में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
जमानत पर क्या शर्तें रखी गईं?
सिविल कोर्ट ने प्रशांत किशोर को जमानत देते हुए यह शर्त रखी:
- वे भविष्य में किसी ऐसे विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगे, जिससे कानून-व्यवस्था भंग हो।
- जमानत के लिए 25,000 रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा।
प्रशांत किशोर ने बेल बॉन्ड भरने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि उनका अनशन जारी रहेगा।
प्रशांत किशोर के समर्थकों का आक्रोश
गिरफ्तारी के बाद प्रशांत किशोर को मेडिकल जांच के लिए पटना एम्स ले जाया गया। वहां उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
- समर्थकों ने प्रशासन पर युवा अभ्यर्थियों की आवाज दबाने का आरोप लगाया।
- गांधी मैदान से गिरफ्तारी के दौरान भी समर्थकों ने भारी विरोध जताया।
BPSC अभ्यर्थियों का मुद्दा और प्रशांत किशोर की मांगें
प्रशांत किशोर और उनके समर्थक BPSC अभ्यर्थियों की निम्नलिखित मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे:
- परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता।
- परीक्षा तिथियों की समय पर घोषणा।
- भर्ती में देरी को खत्म करना।
- परीक्षा पैटर्न में सुधार।
- चयन प्रक्रिया को सुचारू और समयबद्ध बनाना।
प्रशासन की कार्रवाई और प्रशांत किशोर का जवाब
प्रशासन ने कहा कि गांधी मैदान जैसे प्रतिबंधित क्षेत्र में धरना देना गैरकानूनी था।
- प्रशांत किशोर ने इसे शांतिपूर्ण विरोध बताया और कहा कि यह युवाओं के अधिकारों की लड़ाई है।
- उन्होंने प्रशासन पर दबाव में काम करने का आरोप लगाया।
क्या कहते हैं प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर ने गिरफ्तारी और जमानत पर कहा,
“अगर युवाओं के लिए आवाज उठाना गुनाह है, तो मैं बार-बार जेल जाने को तैयार हूं। मेरा अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती।”
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी और उसके बाद मिली जमानत ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।
- जहां प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कार्रवाई मान रहा है, वहीं प्रशांत किशोर इसे युवाओं के अधिकारों की लड़ाई बता रहे हैं।
- यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और प्रशांत किशोर के अनशन का क्या परिणाम निकलता है।