Sunday, June 8, 2025
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गणतंत्र दिवस नहीं, ‘वीर बाल दिवस’ पर दिया जाएगा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

पहली बार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 26 जनवरी की बजाय ‘वीर बाल दिवस’ (26 दिसंबर) पर दिए जाएंगे। जानिए इसके पीछे की वजह और पुरस्कार की खासियत।

गणतंत्र दिवस की जगह ‘वीर बाल दिवस’ पर बाल पुरस्कार

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar) पहली बार 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के बजाय 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के मौके पर दिए जाएंगे। यह ऐतिहासिक फैसला केंद्र सरकार ने उन बच्चों को सम्मानित करने के लिए लिया है, जिन्होंने साहस, बलिदान और उत्कृष्टता के क्षेत्र में मिसाल पेश की है।

पुरस्कार वितरण की योजना

  • समारोह का समय: सुबह 10 बजे
  • स्थान: राष्ट्रपति भवन
  • सम्मानकर्ता: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
  • पुरस्कार विजेता: 14 राज्यों के 17 बच्चों का चयन

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मंडपम में इन बच्चों से मुलाकात करेंगे और उन्हें संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे आयोजित होगा।

वीर बाल दिवस पर क्यों दिया जाएगा पुरस्कार?

इस बार बाल पुरस्कार 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ पर दिया जाएगा। यह फैसला देश के साहसी और प्रेरणादायक बच्चों को गुरुबानी की शिक्षा और साहसिक कार्यों के प्रति सम्मान देने के उद्देश्य से लिया गया है। वीर बाल दिवस की घोषणा पिछले साल 9वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों के बलिदान की याद में की गई थी।

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार का इतिहास

  • शुरुआत: 1957 में भारतीय बाल कल्याण परिषद (Indian Council for Child Welfare) द्वारा।
  • मूल उद्देश्य: बच्चों के साहस, निडरता और सामाजिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहन देना।
  • पहचान: यह पुरस्कार बच्चों की प्रेरणादायक कहानियों को पहचानने और समाज में बदलाव लाने की उनकी क्षमता को दर्शाता है।

पुरस्कार का उद्देश्य

  1. साहस को सम्मान: यह उन बच्चों को प्रेरित करता है जो असाधारण साहस और बलिदान का परिचय देते हैं।
  2. सामाजिक जिम्मेदारी: बच्चों में निडरता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है।
  3. मिसाल कायम करना: यह दिखाता है कि बच्चे भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

कैसे होता है चयन?

इन बच्चों का चयन उनकी प्रेरणादायक कहानियों के आधार पर किया जाता है।

  • मूल्यांकन के आधार:
    • दूसरों के जीवन को बचाने के लिए साहस दिखाना।
    • समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास।
    • कठिन परिस्थितियों में बुद्धिमानी और आत्मविश्वास का परिचय।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ पर आयोजित होना एक प्रेरणादायक पहल है। यह न केवल बच्चों के साहस और बलिदान को सम्मानित करता है, बल्कि समाज को यह संदेश देता है कि बच्चे भी समाज में बदलाव के वाहक बन सकते हैं।

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