महाराष्ट्र में अजित पवार ने प्याज निर्यात शुल्क हटाने की मांग करते हुए किसानों के मुद्दे को उठाया। क्या बीजेपी के लिए यह नई सियासी चुनौती बनेगी?
मुंबई, 19 दिसंबर 2024:
महाराष्ट्र की राजनीति में प्याज का मसला इस समय चर्चा का केंद्र बन गया है। डिप्टी सीएम अजित पवार ने किसानों के हितों के लिए केंद्र सरकार से प्याज पर लगाए गए 20% निर्यात शुल्क को हटाने की अपील की है। इस मांग के पीछे किसानों की आर्थिक परेशानियों को लेकर सियासी समीकरण गर्म हो गए हैं।
अजित पवार का कदम
अजित पवार ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में नाशिक के प्याज उत्पादकों की समस्याओं को उठाते हुए निर्यात शुल्क को हटाने की मांग की।
- क्या लिखा पत्र में?
- विदेशों में नाशिक के प्याज की भारी मांग है।
- निर्यात शुल्क के चलते प्याज का निर्यात बाधित हो रहा है।
- किसानों को औसतन 2400 रुपये प्रति क्विंटल पर प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कमी से किसान नुकसान में हैं।
बीजेपी के लिए सियासी चुनौती
अजित पवार ने यह मांग ऐसे समय पर उठाई है जब एनसीपी नेता छगन भुजबल की नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। भुजबल ने मंत्री पद न मिलने पर खुलकर असंतोष जताया है और कहा है कि बीजेपी की ओर से उन्हें ऑफर मिला था।
- छगन भुजबल का बयान:
- वे अपने समर्थकों से सलाह लेकर आगे की रणनीति तय करेंगे।
- सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने का समर्थन किया था।
प्याज पर राजनीति या किसानों की चिंता?
अजित पवार का प्याज निर्यात शुल्क हटाने का कदम किसानों को राहत देने की दिशा में उठाया गया है, लेकिन इसे बीजेपी पर सियासी दबाव बनाने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
- प्याज उत्पादन का बड़ा हिस्सा नाशिक से आता है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है।
- बीजेपी, जो किसानों के हितैषी होने का दावा करती है, इस मुद्दे पर दबाव में आ सकती है।
किसानों की स्थिति
- किसानों को अपनी उपज बहुत कम कीमत पर बेचनी पड़ रही है।
- बढ़ती प्याज उत्पादन और मांग में कमी के कारण संकट गहराता जा रहा है।
- अजित पवार का कदम किसानों के समर्थन में दिखता है, लेकिन इसके सियासी परिणाम भी महत्वपूर्ण होंगे।