Friday, January 3, 2025
HomeEntertainmentजाकिर हुसैन के सफर की कहानी: ‘उस्ताद’ बनने का सफर और अनमोल...

जाकिर हुसैन के सफर की कहानी: ‘उस्ताद’ बनने का सफर और अनमोल यादें

जाकिर हुसैन: भारत के महान तबला वादक जिन्होंने एक्टिंग, संगीत और कला के विभिन्न आयामों में कमाल किया। जानें उनकी जर्नी और ‘उस्ताद’ बनने की कहानी।

जाकिर हुसैन: ‘उस्ताद’ बनने का सफर और अनमोल यादें

देश के महान तबला वादक जाकिर हुसैन ने 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी कला, प्रतिभा और व्यक्तित्व ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर अमर बना दिया। आइए, उनके शानदार जीवन और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।

कैसे बने ‘उस्ताद’ जाकिर हुसैन?

जाकिर हुसैन को सबसे पहले पंडित रविशंकर ने ‘उस्ताद’ का खिताब दिया। उनके इस सम्मान का सिलसिला यहीं नहीं रुका और वह ‘उस्ताद जाकिर हुसैन’ के नाम से विश्व विख्यात हो गए।

संगीत से अभिनय तक का सफर

  1. फिल्मों में अभिनय:
    जाकिर हुसैन ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1983 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ से की, जिसमें उन्होंने मकान मालिक का किरदार निभाया था।

    • 1998 की फिल्म ‘साज’ में उन्होंने शबाना आज़मी के साथ काम किया।
    • ‘द परफेक्ट मर्डर’ और हाल ही में रिलीज़ हुई देव पटेल की फिल्म ‘मंकी मैन’ में भी उन्होंने अभिनय किया।
  2. संगीत में योगदान:
    • उन्होंने ‘बावर्ची’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ और ‘हीर-रांझा’ जैसी फिल्मों के संगीत में अपनी जादुई छाप छोड़ी।

सबसे कम उम्र में पद्मश्री का सम्मान

जाकिर हुसैन को भारतीय सरकार ने 1988 में पद्मश्री से नवाजा। उस समय वे मात्र 37 वर्ष के थे। वह पद्मश्री पाने वाले सबसे कम उम्र के शख्सियतों में से एक थे।

फैंस के दिलों में रहेंगे जिंदा

उनके शानदार लुक्स, व्यक्तित्व और अट्रैक्टिव अंदाज ने उन्हें एक अलग पहचान दी। उनकी कला और धुनें आज भी लाखों दिलों को छूती हैं।

जाकिर हुसैन को हमारा सलाम

जाकिर हुसैन ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में तबला और भारतीय संगीत को पहचान दिलाई। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments