मिजोरम के CM के बयान ने बढ़ाई चिंता: क्या दक्षिण एशिया में अलग ईसाई देश बनाने की हो रही है साजिश?
मिजोरम के मुख्यमंत्री पीयू लालदुहोमा का हाल ही में अमेरिका के इंडियापोलिस में दिया गया भाषण विवादों में है। उन्होंने चिन-कुकी-जो समुदाय के लिए एकता और स्वतंत्रता का आह्वान करते हुए भारत, बांग्लादेश और म्यांमार का उल्लेख किया, जिससे इन देशों में अस्थिरता का माहौल बन सकता है।
अलगाववादी एजेंडे को लेकर चिंता
लालदुहोमा के भाषण में साझा संस्कृति और धार्मिक पहचान की बात की गई, जिससे संप्रभुता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह समुदाय भारत, बांग्लादेश और म्यांमार में फैला हुआ है और इनकी सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक एकता है। उन्होंने कहा, “हम एक लोग हैं और बंटने का जोखिम नहीं उठा सकते,” जो समुदाय में अलगाववादी भावना को बढ़ावा दे सकता है।
शेख हसीना का दावा और बढ़ती आशंकाएं
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पहले भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि एक अमेरिकी अधिकारी ने भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों को मिलाकर नया ईसाई राष्ट्र बनाने का विचार प्रस्तुत किया था। मिजोरम के मुख्यमंत्री के भाषण ने इस क्षेत्रीय विभाजन के लिए विदेशी समर्थन की संभावना को और भी प्रबल बना दिया है।
दक्षिण एशिया में अस्थिरता की संभावना
लालदुहोमा के भाषण के बाद से इस क्षेत्र में धार्मिक और राजनीतिक स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। भारत, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, क्योंकि यह न केवल उनके संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर सकता है, बल्कि धार्मिक अस्थिरता को भी बढ़ावा दे सकता है।
मुख्य बातें:
- अलगाववादी भावनाएं: चिन-कुकी-जो समुदाय के लिए एक राष्ट्र की मांग
- संप्रभुता पर सवाल: भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के लिए चुनौती
- विदेशी शक्तियों की भूमिका: शेख हसीना के दावे से मिली जानकारी
- धार्मिक अस्थिरता: दक्षिण एशिया में विभाजन और अस्थिरता की संभावना