तिरुपति लड्डू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के CM नायडू को लगाई फटकार, कहा- “भगवान को राजनीति से दूर रखें”
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर) को तिरुपति लड्डू विवाद पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने नायडू से पूछा कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर बयान देने में दो महीने की देरी क्यों की गई। अदालत ने इस मुद्दे को संवेदनशील मानते हुए टिप्पणी की कि धार्मिक मामलों को राजनीतिक दांव-पेंच से दूर रखना चाहिए।
सुब्रमण्यम स्वामी के वकील की दलील: जनता पर पड़ेगा गहरा असर
इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील दी कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयानों का लोगों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब राज्य के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति इस तरह के बयान देते हैं, तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना मुश्किल हो जाता है। वकील ने तर्क दिया कि जिस घी का सैंपल लिया गया था, वह TTD ट्रस्ट द्वारा उपयोग नहीं किया गया था, जिससे जांच प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं।
राज्य सरकार का पक्ष: घी आपूर्ति में अनियमितता की जांच
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में तर्क दिया कि सुब्रमण्यम स्वामी का उद्देश्य राजनीतिक है और उनका इरादा राज्य सरकार पर निशाना साधना है। रोहतगी ने यह भी बताया कि स्वामी स्वयं पहले TTD ट्रस्ट से जुड़े रहे हैं, इसलिए उनकी याचिका को पूरी तरह निष्पक्ष नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर जांच जारी थी, तो मुख्यमंत्री को बीच में बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि मुख्यमंत्री का पद एक संवैधानिक पद है और ऐसी स्थिति में बिना पूरी जानकारी के बयान देना सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: भगवान को राजनीति से दूर रखें
जस्टिस विश्वनाथन ने सवाल उठाते हुए कहा कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने दो महीने बाद क्यों बयान दिया। जब यह स्पष्ट नहीं था कि घी के किस सैंपल का परीक्षण किया गया, तो इस पर प्रतिक्रिया क्यों दी गई? जस्टिस गवई ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि बिना पूरी तरह तथ्यों की पुष्टि किए बयान देना क्यों जरूरी था?
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में साफ कहा कि “भगवान को राजनीति से दूर रखें” और इस तरह के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत दी कि धार्मिक आस्थाओं से जुड़े मामलों को राजनीति में न घसीटा जाए।