Saturday, April 19, 2025
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क्या है वो रणनीति जिसके दम पर बीजेपी को मिल जाती है धमाकेदार जीत, 400 के लिए फिर वही दांव

क्या है वो रणनीति जिसके दम पर बीजेपी को मिल जाती है धमाकेदार जीत, 400 के लिए फिर वही दांव

इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 2014 और 2019 से भी बड़ी जीत हासिल करने का सपना देख रही है। यही कारण है कि पार्टी हर कदम बेहद सावधानी से उठाती दिख रही है। 2019 में फिर से यही फॉर्मूला अपनाया जाएगा.

भाजपा ने एक बार फिर अपने लिए 370 का लक्ष्य हासिल करने और एनडीए के लिए “इस बार 400 का आंकड़ा पार करने” के लिए अपने 104 विजयी विधायकों को टिकट नहीं दिया। इसका मतलब है कि 100 से ज्यादा सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा गया है

वहीं 2014 और 2019 की तरह ही इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मेरठ से कर रहे हैं. मेरठ से इस बार बीजेपी ने ‘टीवी के राम’ यानी अरुण गोविल को चुनावी मैदान में उतारा है. अरुण गोविल ने इस सीट पर लगातार तीन जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाने वाले राजेंद्र अग्रवाल की जगह ली है.

आखिर मेरठ से क्या है बीजेपी का कनेक्शन

बीजेपी ने मेरठ से अपना उम्मीदवार चहेरा तो बदल दिया लेकिन इस शहर से चुनाव अभियान के आगाज की परंपरा नहीं बदली. सबसे पहले 2014 चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी ने 2 फरवरी को अपने अभियान की शुरुआत मेरठ की रैली से की. फिर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले 28 मार्च को पीएम मोदी की पहली रैली मेरठ में ही हुई. अब 2024 चुनाव के लिए 30 मार्च को उनकी पहली रैली मेरठ में होने जा रही है. ऐसे ही 2017 और 2022 यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भी नरेंद्र मोदी की पहली चुनावी रैली मेरठ में ही आयोजित की गई थी.

चाहें लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, मेरठ से अभियान की शुरुआत करना बीजेपी शुभ मानती है. बीजेपी का मानना है कि शुरुआत में मेरठ से मिली मजबूती का असर यूपी के दूसरे कोने पूर्वांचल तक होता है.

टिकट काटने में बीजेपी की ‘सेंचुरी’

हर बार मेरठ से ही चुनाव अभियान की शुरुआत करना और प्रचंड जीत हासिल कर लेना, बीजेपी ऐसे भ्रम में बिल्कुल नहीं दिख रही है. इस बार भी बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस विनिंग कैंडिडेट को चुनावी मैदान में उतारने पर है. 370 सीटें जीतने का लक्ष्य बड़ा है, इसके लिए एक-एक सही उम्मीदवार का चयन भी बहुत बड़ा फैक्टर है.

2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 303 उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे थे. इनमें से अभी तक 104 सांसदों का टिकट कट चुका है जिनमें मोदी सरकार के 10 केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं. 2019 चुनाव से पहले भी बीजेपी ने अपने 282 सांसदों में से 119 के टिकट काटे थे. यानी करीब 42 फीसदी सांसदों को दोबारा टिकट नहीं मिला था.

इस बार बीजेपी करीब 450 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है, इनमें से करीब 90 फीसदी यानी कि 402 सीटों पर उम्‍मीदवारों का ऐलान किया जा चुका है.

किन बड़े सांसदों के कटे टिकट?

बीजेपी ने अभी तक करीब 34 फीसदी सीटिंग सांसदों के टिकट काट दिए हैं. इन बड़े सांसदों में वरुण गांधी, प्रज्ञा ठाकुर, रमेश बिधुड़ी, दर्शना जरदोष, रमेश पोखरियाल निशंक, प्रताप सिम्हा, जनरल वीके सिंह, अनंत हेगड़े, अश्विनी चौबे, हर्षवर्धन, गौतम गंभीर जैसे बड़े नाम शामिल हैं.

गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह की जगह अतुल गर्ग को टिकट मिला है. वीके सिंह ने बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए खुद चुनाव लड़ने से इनकार किया था.

पीलीभीत से वरुण गांधी ने काफी समय से अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. इस बार उनकी जगह जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया गया है.

बरेली से 8 बार के सांसद संतोष गंगवार का टिकट कट गया. बढ़ती उम्र का हवाला दिया गया. उनकी जगह छत्रपाल सिंह गंगवार को चुनावी मैदान में उतारा गया.

भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर को टिकट नहीं मिला. विवादित बयानों की वजह अक्सर सुर्खियों में रहने वाली प्रज्ञा ठाकुर की जगह आलोक शर्मा मैदान में उतरे हैं.

उत्तर कन्नड़ से 6 बार के सांसद अनंत हेगड़े चुनाव नहीं लड़ेंगे. हेगड़े बार-बार विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहे. उनकी जगह अब विश्वेश्वर हेगड़े लेंगे.

गुना सीट से सांसद केपी यादव की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है.
एक तिहाई सीटिंग MP बदल देने के पीछे क्या रणनीति?

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के प्रोफेसर संजय कुमार ने एबीपी न्यूज से कहा, हमारे सामने ये इतिहास है बीजेपी हमेशा चुनाव में ऐसा करती आ रही है. गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने सारा मंत्रिमंडल और यहां तक कि मुख्यमंत्री चहेरा भी बदल दिया था.

नतीजा ये रहा कि बीजेपी को पहले से भी बड़ी जीत मिली. ऐसा कई राज्य विधानसभा चुनाव में हुआ है. बीजेपी हमेशा ही नए चहेरे लेकर आती है. खास बात ये है कि ये नए चहेरे ज्यादातर युवा होते हैं. एक दशक से देखने को मिला है कि बीजेपी को इस रणनीति का फायदा भी होता है. 2024 में भी बीजेपी यही रणनीति अपना रही है. इससे कहीं से कहीं पार्टी को नुकसान होने की उम्मीद नहीं है.

चुनावी मैदान में कितने केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री

अभी बीजेपी कम से कम 30-40 उम्मीदवारों के नाम और घोषित करेगी, तो माना जा रहा है इसके अलावा भी कई मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं. जैसे अभी तक विवादास्पद सांसद बृज भूषण शरण सिंह की उम्मीदवारी पर फैसला नहीं आया है. हालांकि अबतक 104 टिकट कटने के बावजूद बीजेपी के पास चुनाव लड़ने वाले बड़े नेताओं की कमी नहीं है. 7 केंद्रीय मंत्री, 3 केंद्रीय राज्य मंत्री और 7 पूर्व मुख्यमंत्री को पार्टी ने टिकट दिया है.

7 केंद्रीय मंत्री- पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनसुख मांडवीय, भूपेंद्र यादव, पुरुषोत्तम रुपाला.

3 केंद्रीय राज्य मंत्री- राजीव चंद्रशेखर, वी मुरलीधरन, एल मुरुगन.

7 पूर्व मुख्यमंत्री- नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, बासवराज बोम्मई, सर्वानंद सोनोवाल, अर्जुन मुंडा, त्रिवेंद्र सिंह रावत

क्या है बीजेपी का टारगेट

2024 चुनाव में बीजेपी के तीन मुख्य टारगेट हैं- एक 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल करना, स्ट्राइक रेट बढ़ाकर 80 फीसदी तक करना और एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें हासिल कराना.

कांग्रेस की कैसी है तैयारी

बीजेपी ने अब तक अपनी छह लिस्ट में 402 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. वहीं कांग्रेस की ओर से भी चार लिस्‍ट जारी की जा चुकी है. कांग्रेस करीब 280 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है जिनमें से 193 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम सामने आ चुके हैं.

वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अजय राय को कांग्रेस ने टिकट दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को तमिलनाडु की शिवगंगा से चुनाव मैदान में उतारा है. हालांकि गांधी परिवार की पारंपरिक सीट अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है. इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है. बीजेपी ने रायबरेली सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.

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