RJD नेता रामा सिंह ने आनंद मोहन पर बोला हमला, कहा- ऐसे लोगों से रहना होगा दूर
लोकसभा चुनाव के पहले सभी जातियों के नेता अपने समाज के लोगों को एकजुट करने में जुट हुए हैं. आज रामा सिंह ने पटना के मिलर स्कूल मैदान में संकल्प सभा कर क्षत्रिय समाज को एकजुट किया.
बिहार में जातिगत राजनीति एक बार फिर सामने आती दिख रही है. साल 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले सभी जातियों के नेता अपने समाज के लोगों को एकजुट करने के प्रयास में लगे हुए हैं. पहले जेडीयू से अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) ने दलित समाज के लोगों को एकजुट कर भीम संसद कार्यक्रम किया था. आज राजद के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह (RJD Leader Rama Singh) ने पटना के मिलर स्कूल मैदान में संकल्प सभा कर क्षत्रिय समाज को एकजुट किया, जिसमें हजारों की संख्या में क्षत्रिय समाज के लोग पहुंचे.
रामा सिंह ने अपने स्लोगन में लिखा है, ‘मैं समाज बिकने नहीं दूंगा.’ इस दौरान रामा सिंह ने बगैर नाम लिए बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) पर भी जमकर हमला किया. रामा सिंह ने भाषण के दौरान कहा कि, हमें अपने समाज के लोगों को एकजुट करना है. अपनी ताकत दिखानी है और इसके लिए आपके नेतृत्व का चयन करना होगा. ऐसा नेतृत्व चयन न कीजिए जो अपने निजी स्वार्थ में आपका इस्तेमाल करते हैं. बता दें कि रामा सिंह वैशाली से सांसद रहे हैं.
आनंद मोहन की पत्नी लड़ सकती हैं चुनाव
चर्चा जोरों पर है कि इस बार रामा सिंह राजद के टिकट पर वैशाली से चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं. आनंद मोहन की पत्नी वैशाली के पूर्व सांसद लवली आनंद वैशाली से चुनाव लड़ सकती है. ऐसे में अब दो क्षत्रिय नेता आपस में टकराते दिख रहे हैं. रामा सिंह ने कहा कि, यहां सिर्फ वैशाली के नहीं बल्कि पूरे बिहार के लोग आए हैं. मैं किसी व्यक्ति पर नहीं बोल रहा हूं, लेकिन इतना मैं जरूर कहता हूं कि जो लोग निजी स्वार्थ के कारण अपने निजी लालच में समाज का इस्तेमाल कर रहे हैं और समाज को बरगलाने का काम कर रहे हैं, उनसे दूर रहने की जरूरत है.
अपने समाज के लोगों को एकजुट कर रहे रामा सिंह
बताते चलें कि आनंद मोहन भी लगातार अपने समाज के लोगों के बीच जनसभा कर रहे हैं. ऐसे में आनंद मोहन के धुर विरोधी रहे रामा सिंह अब उनकी राह पर चलने लगे हैं और अपने समाज के लोगों से आग्रह करने में जुटे हैं. वहीं कुछ दिन पहले सीएम नीतीश कुमार ने भीम संसद कार्यक्रम की शुरुआत की थी. नीतीश कुमार भी इस बार दलित वोटों को साधने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि बिहार में एक बार फिर जातिगत राजनीति दिखनी शुरू हो गई है.