Tuesday, June 3, 2025
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उद्धव ठाकरे पर रामदास अठावले का हमला, ‘हिंदू होने के बावजूद महाकुंभ न जाना अपमान’

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि हिंदू होने के बावजूद महाकुंभ में न जाना हिंदू समुदाय का अपमान है।

महाकुंभ में कई हस्तियों ने लगाई डुबकी, उद्धव-राहुल रहे नदारद

प्रयागराज महाकुंभ में इस साल करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र स्नान किया। देशभर से राजनीतिक, खेल और फिल्म जगत की कई मशहूर हस्तियां इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनीं। हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी महाकुंभ में शामिल नहीं हुए। इस पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने तीखा हमला बोलते हुए इसे हिंदू समुदाय का अपमान करार दिया।

रामदास अठावले ने क्या कहा?

रामदास अठावले ने कहा कि उद्धव ठाकरे खुद को हिंदुत्व का नेता बताते हैं, लेकिन वे महाकुंभ में शामिल नहीं हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि ठाकरे और गांधी परिवार ने हिंदुओं की आस्था का अपमान किया है।

“हिंदू होने के बावजूद महाकुंभ में न जाना हिंदू समुदाय का अपमान है। हिंदू मतदाताओं को इनका बहिष्कार करना चाहिए।”

अठावले ने आगे कहा कि जो नेता हिंदू वोट चाहते हैं, उन्हें हिंदुओं की आस्था का सम्मान भी करना चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र चुनावों के संदर्भ में यह बयान दिया और कहा कि जनता ऐसे नेताओं को सबक सिखाएगी।

कुंभ में शामिल हुईं ये प्रमुख हस्तियां

महाकुंभ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल शामिल हुए। कांग्रेस के कई नेता भी महाकुंभ में पहुंचे, जिनमें दिग्विजय सिंह, डीके शिवकुमार, राजीव शुक्ला और सचिन पायलट प्रमुख थे।

इसके अलावा, अंबानी और अडानी परिवारों समेत कई उद्योगपतियों और बॉलीवुड हस्तियों ने भी संगम में डुबकी लगाई।

महाकुंभ का धार्मिक और राजनीतिक महत्व

महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हर चुनावी वर्ष में इस आयोजन में नेताओं की उपस्थिति उनके धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाती है। ऐसे में उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए जा रहे हैं

क्या महाकुंभ में न जाने से पड़ेगा राजनीतिक असर?

विशेषज्ञों का मानना है कि अठावले का यह बयान महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में आगामी चुनावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। हिंदू वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी और उसके सहयोगी दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा सकते हैं

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