CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा—दिल्ली में 71% शराब सप्लाई पर 3 निजी कंपनियों का नियंत्रण। शराब नीति से 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान, नियमों का उल्लंघन और राजस्व हानि की पोल खुली।
CAG रिपोर्ट में खुलासा: दिल्ली की शराब सप्लाई पर 3 निजी कंपनियों का नियंत्रण!
दिल्ली की विवादित आबकारी नीति 2021-22 (Excise Policy 2021-22) को लेकर एक बार फिर बड़ा खुलासा हुआ है। CAG (Comptroller and Auditor General) रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति से दिल्ली को 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और शराब सप्लाई का 71% नियंत्रण सिर्फ 3 निजी कंपनियों के हाथ में था। यह रिपोर्ट मंगलवार (25 फरवरी 2025) को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई।
CAG रिपोर्ट के प्रमुख खुलासे:
1. शराब नीति से 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान
कमजोर नीति और उसके अनुपालन में खामियों की वजह से सरकार को भारी राजस्व हानि हुई।
2. लाइसेंस नियमों का उल्लंघन
थोक विक्रेताओं ने खुदरा विक्रेताओं और शराब निर्माताओं से संबंध रखे, जिससे बाजार में एकाधिकार (Monopoly) और ब्रांड प्रमोशन को बढ़ावा मिला।
3. थोक विक्रेताओं के मुनाफे में बड़ा इजाफा
थोक विक्रेताओं का मुनाफा 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया, जिसका तर्क यह दिया गया कि इससे वैश्विक वितरण मानकों और गुणवत्ता जांच प्रणाली को मजबूत किया जा सकेगा।
4. खुदरा लाइसेंस बिना उचित जांच के दिए गए
कई शराब दुकानों के लाइसेंस बिना सॉल्वेंसी टेस्ट, वित्तीय स्थिति की जांच और आपराधिक रिकॉर्ड की समीक्षा के जारी किए गए।
5. विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को किया गया नजरअंदाज
नीति की ड्राफ्टिंग करने वाली विशेषज्ञ समिति ने थोक व्यापार को सरकारी एजेंसियों को सौंपने की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने इसे निजी कंपनियों को सौंप दिया।
6. शराब के खुदरा व्यापार में निजी कंपनियों का एकाधिकार
दिल्ली में शराब की 71% आपूर्ति सिर्फ तीन निजी कंपनियों के हाथों में थी। वहीं, 32 क्षेत्रों में फैली 849 शराब दुकानों को केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिया गया।
7. राजस्व संबंधी फैसले बिना मंजूरी के लिए गए
आबकारी नीति से जुड़े कई राजस्व निर्णय कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिए गए, जिससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।
8. गुणवत्ता मानकों की अनदेखी
आबकारी विभाग ने उन कंपनियों को लाइसेंस दिए जिनके पास बीआईएस (BIS) मानकों के अनुरूप गुणवत्ता जांच रिपोर्ट नहीं थी। 51% विदेशी शराब परीक्षण मामलों में रिपोर्ट या तो गायब थीं या 1 साल से अधिक पुरानी थीं।
आगे क्या होगा?
इस रिपोर्ट के बाद दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल सरकार पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दल इस मुद्दे पर AAP सरकार को घेर सकते हैं, वहीं इस मामले की जांच और तेज हो सकती है।