ट्रंप प्रशासन ने अवैध अप्रवासियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के गुरुद्वारों में जांच के बाद सिख संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई।
मुख्य खबर
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यभार संभालते ही अवैध अप्रवासियों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे सैकड़ों विदेशियों को डिपोर्ट किया जा रहा है। इस बीच, न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के गुरुद्वारों में की गई जांच पर सिख संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
क्या है मामला?
ट्रंप प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को रद्द कर दिया है, जिनमें पूजा स्थलों और संवेदनशील क्षेत्रों में कानून लागू करने पर प्रतिबंध था। अब अमेरिकी गृह मंत्रालय (DHS) ने गुरुद्वारों जैसे पूजा स्थलों में भी सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमारे अधिकारी अवैध अप्रवासियों और अपराधियों को पकड़ने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। अपराधी अब स्कूलों और पूजा स्थलों में छिप नहीं पाएंगे।”
सिख संगठनों की प्रतिक्रिया
सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) ने इस कार्रवाई को सिख आस्था के खिलाफ बताया है। SALDEF की कार्यकारी निदेशक किरण कौर गिल ने कहा, “गुरुद्वारे केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि यह सिख समुदाय के लिए सहायता और आध्यात्मिक शांति का केंद्र हैं। इन स्थानों को निशाना बनाना हमारी आस्था की पवित्रता को खतरे में डालता है।”
सिख संगठनों का कहना है कि यह कार्रवाई न केवल अप्रवासियों को डराने के लिए है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला है।
गुरुद्वारों में जांच क्यों?
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के गुरुद्वारों में कुछ अवैध अप्रवासियों ने शरण ली हुई है। माना जाता है कि इन स्थानों का उपयोग कुछ अलगाववादियों द्वारा भी किया जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन का पक्ष
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य देश को अपराधियों से सुरक्षित बनाना है। उनका कहना है कि कानून लागू करने वाले अधिकारियों को अब पूरी स्वतंत्रता दी गई है ताकि वे अवैध अप्रवासियों और अपराधियों को पकड़ सकें।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की इस नीति से अप्रवासी समुदाय और सिख संगठनों में भारी नाराजगी है। यह मुद्दा धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों से भी जुड़ गया है। आने वाले समय में यह विवाद और बढ़ सकता है।