कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बीच सियासी तनाव बढ़ा। डीके शिवकुमार के नेतृत्व में 11 जेडीएस विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के दावे ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है।
बेंगलुरु, 15 जनवरी: कर्नाटक में सियासी माहौल गरम है। कांग्रेस के चन्नगिरी से विधायक शिवगंगा बसवराज के इस दावे ने राजनीतिक चर्चाओं को और तेज कर दिया है कि जेडीएस के 11 विधायक जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इस दावे ने कर्नाटक की राजनीति में संभावित सत्ता परिवर्तन की अटकलों को हवा दे दी है।
डीके शिवकुमार का नेतृत्व चर्चा में
शिवगंगा बसवराज ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की तारीफ करते हुए कहा कि उनका नेतृत्व पार्टी को एकजुट और मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा, “डीके शिवकुमार ने उपचुनावों में कांग्रेस को तीन निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दिलाई है। यह उनकी कड़ी मेहनत और रणनीतिक कौशल का परिणाम है।”
बसवराज का दावा है कि शिवकुमार का समर्पण और सटीक नेतृत्व कांग्रेस के लिए नई ताकत लेकर आएगा। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि कुछ नेता केवल सत्ता की राजनीति करते हैं, जबकि शिवकुमार निष्ठा और ईमानदारी से काम करते हैं।
जेडीएस का पलटवार
कांग्रेस के इन दावों पर जेडीएस ने कड़ा जवाब दिया। जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा, “कांग्रेस का सपना कभी पूरा नहीं होगा। हमारी पार्टी समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं की पार्टी है, और हमारे नेता कुमारस्वामी के साथ मजबूती से खड़ी है।”
जेडीएस ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह सत्ता में बने रहने के लिए गलत बयानबाजी कर रही है। देवेगौड़ा ने कहा कि जेडीएस को खत्म करना असंभव है और पार्टी को कमजोर करने के सभी प्रयास विफल होंगे।
कर्नाटक विधानसभा का समीकरण
कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं।
- कांग्रेस: 140 सीटें
- बीजेपी: 66 सीटें
- जेडीएस: 18 सीटें
यदि जेडीएस के 11 विधायक कांग्रेस में शामिल हो जाते हैं, तो कांग्रेस की स्थिति और मजबूत हो जाएगी। कांग्रेस के पास पहले से ही विधानसभा स्पीकर का पद है, जो पार्टी के राजनीतिक समीकरण को और अधिक लाभकारी बना सकता है।
क्या सत्ता पलट की स्थिति बनेगी?
इस सियासी हलचल से सवाल उठता है कि क्या कर्नाटक में फिर से सत्ता परिवर्तन होगा? डीके शिवकुमार के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में बढ़ती आंतरिक चर्चाओं और जेडीएस के विधायकों के संभावित पार्टी बदलने के दावों से राजनीतिक पारा चढ़ गया है।
इस घटनाक्रम का क्या नतीजा होगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। लेकिन एक बात तय है, कर्नाटक की राजनीति में आगामी कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण और उथल-पुथल भरे हो सकते हैं।