AAP सांसद संजय सिंह के आरोपों पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया, वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमों के अनुसार बताया।
संजय सिंह के आरोप और आयोग की प्रतिक्रिया
आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) जानबूझकर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहे हैं। इन आरोपों को चुनाव आयोग ने पूरी तरह खारिज कर दिया।
राज्य चुनाव आयुक्त ने चिट्ठी में कहा:
- संजय सिंह के आरोप तथ्यात्मक रूप से सही नहीं और निराधार हैं।
- चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि आपत्तिकर्ताओं की जानकारी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है।
वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने बताया कि किसी भी नाम को वोटर लिस्ट से हटाने के लिए सख्त प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं:
- फॉर्म 7 दाखिल करना:
- इस फॉर्म के माध्यम से किसी मतदाता के नाम को हटाने की आपत्ति दर्ज की जाती है।
- क्षेत्रीय सत्यापन:
- बूथ स्तर के अधिकारी (BLO), BLO पर्यवेक्षक, और अन्य अधिकारी क्षेत्र में जाकर गहन जांच करते हैं।
- निर्धारित मानदंडों का पालन:
- केवल सूची देने से नाम नहीं हटते; सभी मामलों में ECI के दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है।
पारदर्शिता पर चुनाव आयोग का बयान
- फॉर्म 7 और फॉर्म 10 का सारांश सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाता है।
- यह जानकारी सीईओ दिल्ली की वेबसाइट पर अपलोड की जाती है ताकि जनता और राजनीतिक दल पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकें।
- आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि फॉर्म 10 में आपत्तिकर्ताओं और आपत्तिकर्ताओं के नाम देखे जा सकते हैं।
संजय सिंह की पत्नी के मामले पर प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने कहा कि संजय सिंह की पत्नी का नाम हटाने की शिकायतें भी निराधार पाई गईं। शिकायतकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और नियमों के अनुरूप है। यह कहना कि जानबूझकर नाम हटाए जा रहे हैं, गलत है।