तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की कहानी 2007 के लाल मस्जिद ऑपरेशन से शुरू हुई। जानिए, कैसे पाकिस्तान ने तालिबान को मजबूत किया और आज वही उसके लिए सिरदर्द बन गया।
तालिबान और पाकिस्तान: दोस्ती से दुश्मनी तक की कहानी
24 दिसंबर 2024 को अफगानिस्तान के पाक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी वायुसेना ने तालिबान के एक प्रशिक्षण केंद्र पर बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले में 46 लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इसके जवाब में तालिबान ने महज चार दिन बाद पाकिस्तानी सीमा पर हमला किया, जिसमें 19 पाकिस्तानी सैनिक और 3 अफगान नागरिक मारे गए।
तालिबान की स्थापना और पाकिस्तान का साथ
1994 में तालिबान का गठन अफगानिस्तान के कंधार में हुआ। इस संगठन को खड़ा करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आर्थिक और सैन्य मदद देकर अहम भूमिका निभाई।
- 1996: पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूएई ने तालिबान सरकार को मान्यता दी।
- पाकिस्तान ने दशकों तक तालिबान को समर्थन दिया, लेकिन 2007 के बाद दोनों के रिश्तों में दरार आ गई।
लाल मस्जिद ऑपरेशन: दुश्मनी की शुरुआत
2007 में इस्लामाबाद की लाल मस्जिद कट्टरपंथी गतिविधियों का केंद्र बन गई।
- 3 जुलाई 2007: पाकिस्तानी सेना ने “ऑपरेशन साइलेंस” चलाया, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए।
- इस घटना के बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का गठन हुआ।
- TTP ने पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी हमलों की झड़ी लगा दी।
तालिबान से दुश्मनी के बढ़ते कारण
तालिबान, जो कभी पाकिस्तान का समर्थन पाकर मजबूत हुआ, अब उसी के खिलाफ खड़ा है।
- सीमा विवाद: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में तालिबान लगातार हमले कर रहा है।
- अफगान सरकार: तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की उम्मीदें टूट गईं।
- टीटीपी का समर्थन: तालिबान, टीटीपी को समर्थन देकर पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
पाकिस्तान-तालिबान के बीच हालिया तनाव
पाकिस्तान के हमले और तालिबान के जवाबी कार्रवाई ने दोनों के रिश्तों को और बिगाड़ दिया है।
- पाकिस्तान: तालिबान को आतंकी संगठन मानता है।
- तालिबान: पाकिस्तान को सीमा विवाद और सैन्य हस्तक्षेप के लिए जिम्मेदार ठहराता है।