दिल्ली चुनाव 2025 से पहले अरविंद केजरीवाल की पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना पर बीजेपी ने निशाना साधा। इसे चुनावी छलावा बताते हुए धार्मिक स्थलों की अनदेखी का आरोप लगाया।
पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना पर बढ़ा सियासी घमासान
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। आम आदमी पार्टी द्वारा पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 देने की घोषणा के बाद, बीजेपी ने इसे चुनावी छलावा करार दिया।
बीजेपी का आरोप: क्यों अचानक आई पुजारियों की याद?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा,
“अरविंद केजरीवाल 2013 से इमामों और मौलवियों को वेतन दे रहे हैं, लेकिन पुजारियों और ग्रंथियों की अनदेखी की। अब चुनाव से पहले यह योजना क्यों? यह घोषणा लागू क्यों नहीं हो रही?”
‘मौलवियों को भी नहीं मिल रहा वेतन’: बांसुरी स्वराज का बयान
बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी इस योजना पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“17 महीने से मौलवियों को उनका वेतन नहीं मिला है। यह वेतन नहीं बल्कि ऑनरेरियम है। अरविंद केजरीवाल बताएं कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू नहीं है, फिर वे इसे लागू क्यों नहीं कर रहे?”
उन्होंने कैबिनेट मंत्री आतिशी से योजना को कैबिनेट नोट में शामिल कर तुरंत लागू करने की मांग की।
धार्मिक पक्षपात का आरोप
बांसुरी स्वराज ने आगे कहा,
“अरविंद केजरीवाल ने चर्च के पादरियों को क्यों अनदेखा किया? यह सिर्फ चुनावी रणनीति है, जिसमें धार्मिक स्थलों, महिलाओं, बुजुर्गों और सभी समुदायों को छलावा किया जा रहा है।”
AAP की सफाई और योजना का विवरण
आम आदमी पार्टी की ओर से बताया गया कि पुजारी और ग्रंथियों का रजिस्ट्रेशन मंगलवार से शुरू हो गया है। इस योजना के तहत, पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 का भुगतान किया जाएगा।
राजनीतिक संघर्ष का असर
पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना ने चुनाव से पहले धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों को भड़का दिया है। देखना होगा कि यह योजना वोटरों को कितना प्रभावित करती है और क्या इसे लागू किया जा सकेगा।