भारत से बगावत और चीन-पाकिस्तान से करीबी बढ़ाने के बाद बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर। कपड़ा उद्योग और जीडीपी पर संकट के बादल।
बांग्लादेश की भारत-विरोधी नीति और उसके गंभीर आर्थिक परिणाम
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ रुख अपनाते हुए चीन और पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाईं। हालांकि, इस कदम का असर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हो चुका है।
भारत पर निर्भरता और व्यापारिक संबंध
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था भारत पर कई मोर्चों पर निर्भर है। भारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- 2022-23 में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार $16 बिलियन था।
- भारत से आयातित वस्तुओं में चावल, गेहूं, कपास, प्याज, और पेट्रोलियम शामिल हैं।
कपड़ा उद्योग पर संकट
बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग, जो देश के GDP में 11% का योगदान करता है, भारत से कपास के आयात पर निर्भर है।
- भारत से 35% कपास का आयात होता है।
- आयात रुकने पर बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग ठप हो सकता है, जिससे मुद्रास्फीति और बेरोजगारी बढ़ेगी।
तख्तापलट के बाद आर्थिक गिरावट
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।
- GDP वृद्धि दर 6.3% से घटकर 5% से कम हो गई।
- 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई है।
सुरक्षा और भारत की सहायता
4,367 किलोमीटर की सीमा साझा करने वाले इन पड़ोसी देशों में व्यापार के अलावा सुरक्षा संबंध भी महत्वपूर्ण हैं।
- भारत ने पिछले 8 सालों में बांग्लादेश को $8 बिलियन की सहायता दी।
बंद होने के कगार पर कंपनियां
बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है, कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा के कारण भारी घाटे का सामना कर रहा है। कई कंपनियां अपने संचालन बंद करने पर विचार कर रही हैं।