राजनीतिक चंदा जुटाने में भाजपा सबसे आगे है, जबकि कांग्रेस पिछड़ रही है। बीआरएस ने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। जानें, किस पार्टी को कितना चंदा मिला।
राजनीतिक चंदा: भाजपा का दबदबा और कांग्रेस की गिरती स्थिति
राजनीतिक दलों के चंदे की नई रिपोर्ट ने कांग्रेस के लिए चिंताजनक स्थिति उजागर की है। 2023-24 में भाजपा ने 2244 करोड़ रुपये का चंदा जुटाया, जो कांग्रेस के मुकाबले आठ गुना अधिक है। वहीं, बीआरएस ने भी कांग्रेस को 580 करोड़ रुपये चंदा जुटाकर पीछे छोड़ दिया है।
चंदे के आंकड़े: किस पार्टी को मिला कितना
- भाजपा: ₹2244 करोड़
- कांग्रेस: ₹288.9 करोड़
- बीआरएस: ₹589 करोड़
- वाईएसआर कांग्रेस: ₹121 करोड़
- डीएमके: ₹60 करोड़
- टीडीपी: ₹33 करोड़
- जेएमएम: ₹11.5 करोड़
कांग्रेस के लिए क्यों बढ़ी चुनौती?
कांग्रेस के लिए लगातार हार और आर्थिक गिरावट चिंता का विषय बन रही है। 2014 के बाद भाजपा के उदय से कांग्रेस की चंदा जुटाने की क्षमता पर भी असर पड़ा है।
वहीं, बीआरएस जैसी क्षेत्रीय पार्टी ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए चंदा जुटाने में अपनी ताकत साबित की है। यह दर्शाता है कि कांग्रेस के सामने न केवल चुनावी चुनौतियां हैं, बल्कि आर्थिक चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के खत्म होने का असर
सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द करने के बाद पार्टियों को अब इलेक्टोरल ट्रस्ट और अन्य कानूनी माध्यमों से चंदा जुटाना पड़ रहा है। यह कांग्रेस के लिए और भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, जबकि भाजपा ने अन्य माध्यमों से चंदा जुटाने में सफलता पाई है।
कांग्रेस को क्या करना चाहिए?
कांग्रेस को अपनी चंदा जुटाने की रणनीति और राजनीतिक नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पार्टी को समय रहते सुधार नहीं किया गया तो उसका अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।