त्रिपुरा में बांग्लादेशी घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन रही है। फर्जी आधार कार्ड और सीमावर्ती सुरक्षा खामियों का फायदा उठाकर घुसपैठिए भारत में प्रवेश कर रहे हैं।
त्रिपुरा में बांग्लादेशी घुसपैठ: बढ़ती चुनौती
बांग्लादेश में बिगड़ते हालात का असर भारत पर पड़ रहा है, विशेषकर त्रिपुरा पर, जो तीन ओर से बांग्लादेश से घिरा हुआ है। हाल ही में 100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को फर्जी आधार कार्ड के सहारे घुसपैठ की कोशिश करते पकड़ा गया। यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
घुसपैठ के मकड़जाल का विस्तार
फर्जी दस्तावेजों की मदद से घुसपैठिए भारत में प्रवेश करते हैं और देश के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। इस नेटवर्क में दलाल, फर्जी दस्तावेज बनाने वाले, और अन्य लोग शामिल हैं। त्रिपुरा जैसे सीमावर्ती राज्यों में इनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि ये स्थानीय भाषा और तौर-तरीकों में आसानी से घुल-मिल जाते हैं।
ड्रग्स और आतंकवाद का कनेक्शन
घुसपैठ केवल रोजगार के लिए नहीं, बल्कि ड्रग्स तस्करी, हथियारों की आपूर्ति, और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है।
- महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: ड्रग्स तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों में महिलाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
- सुरक्षा एजेंसियों की सीमाएं: बीएसएफ, जीआरपी, और त्रिपुरा पुलिस के प्रयास सीमित संसाधनों और तकनीकी खामियों के कारण पर्याप्त नहीं साबित हो रहे।
सीमा सुरक्षा में खामियां
त्रिपुरा की 856 किलोमीटर लंबी सीमा में से 22 किलोमीटर में अभी भी बाड़ नहीं लगाई गई है।
- जंगल और नदी की चुनौतियां: इन इलाकों में निगरानी करना मुश्किल है।
- तकनीकी सुधार की जरूरत: बीएसएफ ने सीमा पर रोशनी, ड्रोन निगरानी, और अन्य तकनीकी उपायों को लागू करने पर जोर दिया है।
राजनीतिक विवाद और समाधान
घुसपैठ अब न केवल एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, बल्कि यह देश की सुरक्षा के लिए एक सच्चाई है।
- सख्त निगरानी: सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ाने और तकनीकी संसाधनों को मजबूत करने की जरूरत है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता: यह समस्या केवल त्रिपुरा तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा से जुड़ी है।