बांग्लादेश ने भारत द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हिंसा के आंकड़ों को अतिरंजित और भ्रामक बताया। साथ ही, घटनाओं की जांच और अपराधियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
नई दिल्ली, 21 दिसंबर 2024: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा हिंदुओं पर हुए हमलों के आंकड़ों को “भ्रामक और अतिरंजित” बताया है। भारतीय पक्ष ने 2022 से 2024 के बीच बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हिंसा के बढ़ते मामलों का जिक्र किया था।
भारत ने दिए थे चौंकाने वाले आंकड़े:
भारत ने हाल ही में एक बयान में दावा किया कि:
- 2022 में हिंदुओं के खिलाफ 47 घटनाएं हुईं।
- 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 302 हो गया।
- 2024 में अब तक 2,200 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
बांग्लादेश का पलटवार:
बांग्लादेश सरकार ने इन आंकड़ों को खारिज करते हुए कहा कि ये आंकड़े “अतिरंजित” और “भ्रामक” हैं।
उन्होंने ऐन ओ सलिश केंद्र (एक स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन) का हवाला देते हुए कहा कि:
- 2024 के जनवरी से नवंबर के बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ केवल 138 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
- इन घटनाओं में 368 घरों पर हमले हुए और 82 लोग घायल हुए।
मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं:
हाल ही में मैमनसिंह और दिनाजपुर में हिंदू मंदिरों पर हमले हुए हैं।
- दिनाजपुर: उपद्रवियों ने आठ मूर्तियां तोड़ीं।
- मैमनसिंह के हलुआघाट उपजिला में दो मंदिरों की तीन मूर्तियां खंडित की गईं।
बांग्लादेश ने दी सफाई:
बांग्लादेश के पुलिस मुख्यालय ने बताया कि:
- 4 अगस्त से 10 दिसंबर 2024 के बीच धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों के 97 मामले दर्ज किए गए।
- इस दौरान 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
- अधिकांश घटनाएं राजनीतिक कारणों से प्रेरित थीं और कई 5-8 अगस्त के बीच हुईं, जब बांग्लादेश में कोई सरकार कार्यरत नहीं थी।
बांग्लादेश ने जोर देकर कहा कि उनकी अंतरिम सरकार हर घटना की जांच और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ा तनाव:
बांग्लादेश ने भारत से अपील की कि वह “घृणा अपराधों को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाने” से बचें। वहीं, भारत ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर कड़ा रुख अपनाया है और क्षेत्रीय स्थिरता पर चिंता जताई है।
धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल:
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के ये आरोप दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का कारण बन रहे हैं। भारत का कहना है कि वह हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जबकि बांग्लादेश इसे राजनीतिक प्रोपेगेंडा बता रहा है।