सुप्रीम कोर्ट ने महिला सुरक्षा पर केंद्र को नोटिस जारी किया। जनहित याचिका में ऑनलाइन पोर्नोग्राफी बैन, बलात्कारियों की नपुंसकता और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अनुशासन की मांग उठाई गई।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2024: महिला सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। जनहित याचिका में महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए कई मांगें रखी गईं, जिनमें बलात्कारियों को नपुंसक बनाने जैसी सख्त सजा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में उचित सामाजिक व्यवहार सुनिश्चित करने की अपील शामिल है।
याचिका में क्या है मांग?
‘सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन’ की ओर से दाखिल इस याचिका में वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पावनी ने कोर्ट को बताया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए देशव्यापी दिशा-निर्देशों की जरूरत है। याचिका में यह भी कहा गया कि ऑनलाइन पोर्नोग्राफी पर बैन लगाया जाए और यौन अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां शामिल थे, ने कहा कि याचिका में कई मुद्दे प्रासंगिक हैं, लेकिन बलात्कारियों की नपुंसकता जैसी सजा को बर्बर और कठोर करार दिया। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना बेहद आवश्यक है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो सड़कों पर रहती हैं और लगातार यौन हिंसा का शिकार होती हैं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अनुशासन की जरूरत
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में उचित व्यवहार के नियम बनाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि बस, मेट्रो और ट्रेन जैसे सार्वजनिक परिवहनों में यात्रियों के लिए “क्या करें और क्या न करें” पर जागरुकता अभियान चलाना चाहिए। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सख्त अनुशासन लागू किया जाना चाहिए।
निर्भया कांड की बरसी पर याचिका
महालक्ष्मी पावनी ने 16 दिसंबर को 2012 के निर्भया कांड की बरसी का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना के बावजूद महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध नहीं रुके हैं। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में 95% घटनाएं दबी रह जाती हैं और रिपोर्ट नहीं होतीं।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश
कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि महिला सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश तैयार करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि इस विषय पर जनवरी 2025 में फिर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट का बयान
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम आम महिलाओं के लिए राहत के इस प्रयास की सराहना करते हैं। समाज में महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सुरक्षित माहौल प्रदान करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”