Sunday, December 22, 2024
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‘मस्जिद में जय श्रीराम के नारे लगाना अपराध कैसे?’ सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से मस्जिद में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने के मामले पर पूछा सवाल। एफआईआर रद्द करने के मामले में कोर्ट जनवरी में सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से मस्जिद में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने के मामले पर उठाया सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में मस्जिद के अंदर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने के मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करने को लेकर कर्नाटक सरकार से अहम सवाल किया है। कोर्ट ने पूछा, “मस्जिद में धार्मिक नारा लगाना अपराध कैसे हो सकता है?” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस मामले में याचिकाकर्ता की अपील पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है।

जनवरी में होगी सुनवाई

न्यायमूर्ति पंकज मिथल और संदीप मेहता की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका की कॉपी कर्नाटक सरकार को सौंपे। कोर्ट ने कहा कि सरकार से जानकारी लेने के बाद इस मामले पर जनवरी में सुनवाई की जाएगी।

याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता हैदर अली, जो कि दक्षिण कन्नड़ जिले के कडाबा तालुका के निवासी हैं, के वकील देवदत्त कामत ने कोर्ट में दलील दी कि मस्जिद में घुसकर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाना न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की भी कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी इस हरकत के जरिए धमकी देने और तनाव पैदा करने की मंशा रखते थे।

हाई कोर्ट का फैसला

कर्नाटक हाई कोर्ट ने 13 सितंबर को इस मामले में एफआईआर रद्द कर दी थी। न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना की बेंच ने कहा था कि “इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द बना हुआ है। दो लोगों द्वारा नारे लगाने को धार्मिक अपमान नहीं माना जा सकता।”

आरोपियों के खिलाफ लगे थे ये धाराएं

मस्जिद में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने के आरोप में कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 447 (अवैध प्रवेश), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

याचिकाकर्ता की आपत्ति

याचिकाकर्ता के अनुसार, हाई कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 482 का गलत तरीके से इस्तेमाल कर मामले को जल्दबाजी में खत्म कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस को जांच पूरी करने से पहले ही मामले को रद्द कर दिया गया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हुई।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह यह देखेगी कि आरोपियों के खिलाफ क्या सबूत हैं और पुलिस ने निचली अदालत में रिमांड के दौरान क्या तर्क दिए थे।

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