केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि पिछले पांच वर्षों में 178 भगोड़ों में से 23 को भारत लाया गया है, जबकि 65 मामलों पर अमेरिका विचार कर रहा है।
पिछले पांच वर्षों में 23 भगोड़ों का प्रत्यर्पण
केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर 2024 को लोकसभा में जानकारी दी कि पिछले पांच वर्षों में भारत ने विभिन्न देशों से 23 भगोड़ों को सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित कराया है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि इन भगोड़ों में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी भी शामिल हैं।
अमेरिका में विचाराधीन 65 अनुरोध
नित्यानंद राय ने कहा कि भारत ने अमेरिका को 65 भगोड़ों के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भेजा है, जो फिलहाल विचाराधीन हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विदेश मंत्रालय इस प्रक्रिया के लिए नोडल प्राधिकरण है और भगोड़ों के प्रत्यर्पण के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी हैं।
प्रत्यर्पण संधियां: भारत के प्रयास
भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, सऊदी अरब, यूएई और अन्य देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियां की हैं। इसके अलावा, भारत ने श्रीलंका, सिंगापुर, स्वीडन, एंटीगुआ और बारबुडा जैसे देशों के साथ प्रत्यर्पण व्यवस्थाएं स्थापित की हैं।
प्रत्यर्पण प्रक्रिया: उद्देश्य और महत्व
प्रत्यर्पण एक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसमें एक देश किसी अपराधी को दूसरे देश को सौंपता है, ताकि अनुरोध करने वाले देश में उसे मुकदमे या सजा का सामना करना पड़े। भारत ने टॉप भगोड़ों की सूची तैयार की है, जिनके अनुरोध प्रमुख देशों में लंबित हैं।
टॉप भगोड़े: लंबित अनुरोध
ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में भारत के शीर्ष भगोड़ों के प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:
- विजय माल्या (व्यवसायी और पूर्व सांसद)
- ललित मोदी (पूर्व आईपीएल अध्यक्ष)
- तहव्वुर हुसैन राणा (26/11 हमले का आरोपी)
- लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल (खालिस्तान समर्थक आतंकवादी)
सरकार का रुख: अधिक संधियां और सहयोग
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार की नीति अधिक से अधिक देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियां करने की है। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि अपराधी बच न सकें और कानून का सामना करें।