जानिए जॉर्ज सोरोस के जीवन, उनकी विवादित छवि और भारतीय राजनीति में उनके बढ़ते प्रभाव के बारे में। क्या है उनका कांग्रेस और भारत विरोधी गतिविधियों से संबंध?
जॉर्ज सोरोस और भारत में राजनीतिक विवाद
नई दिल्ली, 8 दिसंबर 2024: जॉर्ज सोरोस, एक ऐसे नाम हैं जिन्होंने भारत की सियासत में गर्मी ला दी है। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेताओं के सोरोस से संबंध हैं और उनके द्वारा फंडेड संगठन भारत के खिलाफ साजिश रचते हैं। यह मुद्दा संसद में भी छाया रहा, जहां सत्ताधारी दल ने इस पर चर्चा कराने की मांग की।
कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
जॉर्ज सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी के बुडापेस्ट में एक संपन्न यहूदी परिवार में हुआ। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की और दर्शनशास्त्र में रुचि रखते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके परिवार ने नाजी उत्पीड़न से बचने के लिए संघर्ष किया।
1956 में, सोरोस अमेरिका पहुंचे और एक हेज फंड मैनेजर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। 1997 के एशियाई वित्तीय संकट में थाईलैंड की मुद्रा (बाहट) पर सट्टेबाजी का आरोप और बैंक ऑफ इंग्लैंड को कमजोर करने का मामला उनकी विवादित छवि को बढ़ाता है।
सोरोस और ओपन सोसायटी फाउंडेशन
1984 में, जॉर्ज सोरोस ने ओपन सोसायटी फाउंडेशन की स्थापना की, जो अब 70 से अधिक देशों में सक्रिय है। इस फाउंडेशन का उद्देश्य लोकतंत्र, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है।
भारत और सोरोस का विवाद
सोरोस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप का सबसे बड़ा आलोचक माना जाता है। 2020 में दावोस में उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना की, जिससे भारतीय राजनीति में उनके खिलाफ माहौल बन गया। बीजेपी ने उनके फाउंडेशन को भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल बताया है और कांग्रेस पर उनके साथ संबंध होने के आरोप लगाए हैं।
सोरोस का भारतीय राजनीति पर प्रभाव
सोरोस का नाम अडानी विवाद और कांग्रेस के हमलों में सामने आने से यह स्पष्ट होता है कि उनकी छवि भारत में राजनीतिक ध्रुवीकरण का कारण बन रही है। संसद में इस विषय पर चर्चा और उनके फाउंडेशन की भूमिका की जांच की मांग ने इसे और अधिक तूल दे दिया है।