शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। जस्टिस सूर्यकांत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट में पार्थ चटर्जी की जमानत पर तीखी सुनवाई
पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में फंसे पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार, 4 दिसंबर 2024 को सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाया और एडवोकेट मुकुल रोहतगी को फटकार लगाई।
जस्टिस सूर्यकांत ने दिया कड़ा संदेश
जस्टिस सूर्यकांत ने बहस के दौरान मुकुल रोहतगी से कहा:
“आपके मुवक्किल एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं। समाज को हम क्या संदेश देना चाहते हैं कि एक भ्रष्टाचारी व्यक्ति को कोर्ट बेल दे दे?”
मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि पार्थ चटर्जी ढाई साल से जेल में हैं और अन्य आरोपियों को भी जमानत मिल चुकी है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बाकी आरोपी मंत्री नहीं थे।
एएसजी ने बेल का विरोध किया
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए पार्थ चटर्जी की भूमिका और 28 करोड़ रुपये की रिकवरी का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जमानत मिलने के बावजूद चटर्जी सीबीआई मामले में हिरासत में रहेंगे।
जस्टिस का सवाल: “तो क्या?”
जब रोहतगी ने चटर्जी के ढाई साल से जेल में होने का जिक्र किया, तो जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त लहजे में कहा,
“तो क्या? आरोपी के ठिकानों से करोड़ों की वसूली हुई है। मंत्री के रूप में उनके पास जांच को प्रभावित करने की क्षमता थी।”