संभल जामा मस्जिद मामले में केंद्र की एंट्री! ASI ने भी की बड़ी मांग, अदालत में दाखिल किया जवाब
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने वाली अदालत में अपना जवाब दाखिल किया है। एएसआई ने मस्जिद को संरक्षित विरासत स्थल के रूप में मानते हुए इसके नियंत्रण और प्रबंधन का अनुरोध किया है। एएसआई का कहना है कि मस्जिद का सर्वेक्षण और संरचनात्मक बदलाव करने का अधिकार एएसआई के पास होना चाहिए क्योंकि यह स्थल 1920 से एएसआई द्वारा संरक्षित है। इस मामले को लेकर एएसआई ने अदालत से प्रबंधन समिति के खिलाफ चिंता जताते हुए कहा कि मस्जिद की संरचना में किए गए अनधिकृत बदलाव गैरकानूनी हैं और उन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए।
एएसआई का तर्क:
एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने अदालत में यह भी बताया कि मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा पिछले समय में किए गए बदलाव, जैसे कि 19 जनवरी 2018 में सीढ़ियों पर मनमाने तरीके से स्टील की रेलिंग लगाना, एएसआई के अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि मस्जिद में प्रवेश के लिए एएसआई के नियमों का पालन किया जाए। उनका तर्क है कि शाही जामा मस्जिद का नियंत्रण और प्रबंधन एएसआई के हाथ में रहना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर का सही तरीके से संरक्षण किया जा सके।
हिंसा और विवाद:
इस बीच, मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़कने से स्थिति और जटिल हो गई है। 24 नवंबर को स्थानीय अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा रहा था, लेकिन हिंसक झड़पें शुरू हो गईं, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई। इस हिंसा के बाद, सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है जो इस घटना की जांच करेगा। आयोग को इस बात की जांच करनी है कि क्या हिंसा किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी या यह अपने आप भड़की थी। आयोग हिंसा के कारणों का विश्लेषण करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के उपाय सुझाएगा।
आयोग की भूमिका:
इस न्यायिक आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा कर रहे हैं। अन्य सदस्य पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन हैं। आयोग को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है, हालांकि सरकार की मंजूरी के बिना इस समयसीमा में विस्तार नहीं किया जा सकता। आयोग का उद्देश्य यह पता लगाना है कि हिंसा के लिए जिम्मेदार परिस्थितियां क्या थीं और पुलिस व प्रशासन की तैयारियों का मूल्यांकन भी करना है।
सर्वेक्षण और सांस्कृतिक विवाद:
इस मामले से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मस्जिद स्थल पर दावा किया गया है कि यहां कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था, जिससे इस स्थल को लेकर सांस्कृतिक विवाद भी उत्पन्न हो गया है। हालांकि, इस दावे का वैज्ञानिक आधार अभी तक नहीं प्रस्तुत किया गया है, लेकिन यह विवाद मस्जिद के सर्वेक्षण और संबंधित घटनाओं को और जटिल बना रहा है।
न्यायिक प्रक्रिया और राज्य की जिम्मेदारी:
सर्वेक्षण के बाद हुई हिंसा ने यह सवाल उठाया है कि राज्य और प्रशासन को इस तरह की संवेदनशील घटनाओं के दौरान अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। मस्जिद के सर्वेक्षण से जुड़े विवादों के कारण, राज्य और केंद्र सरकार दोनों के सामने यह चुनौती है कि वे इस संवेदनशील मामले में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखें।
निष्कर्ष:
संबल जामा मस्जिद का मामला भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हुआ है, और इसे लेकर विवाद गहरा सकता है। अदालत की कार्यवाही और आयोग की जांच से यह मामला और भी पेचीदा हो सकता है। एएसआई का यह प्रयास है कि मस्जिद के संरक्षण का अधिकार उसे सौंपा जाए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर का सही तरीके से संरक्षण और देखभाल हो सके।