संभल की जामा मस्जिद में हुए विवादित सर्वेक्षण और हिंसा पर हिंदू व मुस्लिम पक्ष की दलीलें। जानिए अदालत, प्रशासन और घटना से जुड़े सभी तथ्य।
घटना का प्रारंभ
संभल की जामा मस्जिद में गत रविवार को एडवोकेट कमिश्नर के आदेश पर सर्वेक्षण किया गया। इस दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की मौत और 20 लोग घायल हो गए। मस्जिद प्रबंधन समिति और हिंदू पक्ष ने इस घटना पर अलग-अलग दावे किए।
हिंदू पक्ष की दलीलें
हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने कहा कि दूसरा सर्वे एडवोकेट कमिश्नर के आदेश पर हुआ था और इसे जल्दबाजी का निर्णय नहीं कहा जा सकता। उनका दावा है कि मस्जिद का क्षेत्र एएसआई द्वारा संरक्षित है और यहां नमाज करना गलत है। उन्होंने कहा, “1978 तक हिंदू समुदाय यहां पूजा करता था। दंगे के बाद यह बंद हो गया।”
हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि हिंसा पूर्व नियोजित थी। शर्मा ने कहा कि सर्वे के दौरान मस्जिद प्रबंधन समिति के सदस्य और इमाम शांति की अपील कर रहे थे, लेकिन उपद्रवी तत्वों ने पुलिस और सर्वे टीम पर पथराव किया।
मुस्लिम पक्ष की प्रतिक्रिया
जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने दावा किया कि सर्वेक्षण प्रशासन की मनमानी का नतीजा था। समिति के अध्यक्ष जफर अली ने आरोप लगाया कि उप जिलाधिकारी और पुलिस की कार्रवाई ने लोगों को गुमराह किया। वजूखाने से पानी निकालने पर यह अफवाह फैली कि मस्जिद में खुदाई हो रही है, जिससे भीड़ उग्र हो गई।
समिति ने कहा कि मस्जिद का दूसरा सर्वे कोर्ट के आदेश पर नहीं हुआ। उन्होंने प्रशासन पर अवैध तरीके से सर्वे कराने और हिंसा के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया।
हिंसा के कारण और परिणाम
हिंसा में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत हुई। पथराव, गोलीबारी और लाठीचार्ज के कारण चार लोगों की मौत हुई, जबकि 20 से अधिक घायल हुए। पुलिस ने इस मामले में सात एफआईआर दर्ज की हैं और अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
वकील गोपाल शर्मा के अनुसार, उपद्रवी तत्वों ने पुलिस पर गोलीबारी की, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हुए। वहीं, मस्जिद प्रबंधन समिति का कहना है कि लाठीचार्ज और गोलाबारी ने स्थिति को और खराब कर दिया।
राजनीतिक बयानबाजी
समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अदालत में दूसरे पक्ष को सुने बिना आदेश जारी करना न्यायसंगत नहीं है।
इकबाल महमूद ने कहा कि उनका बेटा इस विवाद में दोषी नहीं है। उन्होंने पुलिस से सबूत दिखाने की मांग की।
भविष्य की कार्रवाई
29 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर सर्वे रिपोर्ट अदालत में पेश करेंगे। दोनों पक्ष अदालत में अपनी बात रखेंगे। वहीं, पुलिस मामले की जांच कर रही है और उपद्रवियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की मदद ले रही है।
निष्कर्ष
यह विवाद धार्मिक भावनाओं और प्रशासनिक कार्रवाइयों के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं, लेकिन सच्चाई का पता तभी चलेगा जब अदालत और प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच करेंगे।