स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए राज्यों को निर्देश जारी किए। इसमें कमजोर वर्गों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया गया है।
वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय का एक्शन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायु प्रदूषण से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य खतरों पर चिंता जाहिर करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय ने कहा है कि वायु प्रदूषण से बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और पहले से बीमार व्यक्तियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर जोर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों की निगरानी के लिए सेंटिनल अस्पतालों का नेटवर्क बढ़ाया जाए। साथ ही, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को इन बीमारियों के इलाज के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
- सुविधाएं: ऑक्सीजन सप्लाई, वेंटिलेटर, नेबुलाइज़र और आपातकालीन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- बीमारियों पर निगरानी: वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों की दैनिक रिपोर्टिंग।
जन जागरूकता अभियान
मंत्रालय ने प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर जन जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक अभियान चलाने का निर्देश दिया। इसमें सोशल मीडिया, रेडियो, टेलीविजन और स्थानीय भाषाओं में प्रचार सामग्री का उपयोग किया जाएगा।
- प्रचार माध्यम: पोस्टर, वॉल पेंटिंग, स्ट्रीट प्ले, और डिजिटल प्लेटफॉर्म।
- संदेश: स्वच्छ ईंधन के उपयोग और प्रदूषण कम करने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर जोर।
वायु प्रदूषण के कारण और समाधान
मंत्रालय ने प्रदूषण के मुख्य स्रोतों जैसे वाहनों का उत्सर्जन, औद्योगिक कचरा, पराली जलाना, और निर्माण गतिविधियों पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई है। साथ ही, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के सुझाव दिए हैं।
मंत्रालय की भविष्य की योजनाएं
- शहर और जिला स्तर की कार्य योजनाएं: राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) के तहत स्थानीय स्तर पर रणनीतियां बनाना।
- समन्वित प्रयास: राज्यों और केंद्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।
वायु प्रदूषण के खतरनाक प्रभाव
वायु प्रदूषण से जुड़े आंकड़े बेहद गंभीर हैं। 2019 में 1.7 मिलियन भारतीयों की मौत का कारण वायु प्रदूषण था। यह समस्या फेफड़ों, हृदय और अन्य शारीरिक प्रणालियों को प्रभावित कर रही है। कमजोर वर्ग, जिनमें बाहरी श्रमिक और निम्न आय वर्ग शामिल हैं, विशेष रूप से खतरे में हैं।