‘द साबरमती रिपोर्ट’ पर अमित शाह का बयान: सच को दबाया नहीं जा सकता
विक्रांत मैसी की फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ ने 2002 के गोधरा कांड की घटनाओं को एक नई दृष्टि से पेश किया है। फिल्म को लेकर दर्शकों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां एक तरफ यह फिल्म तारीफें बटोर रही है, वहीं दूसरी ओर आलोचनाओं का भी सामना कर रही है।
फिल्म को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब गृह मंत्री अमित शाह ने भी खुलकर इसकी सराहना की है। उन्होंने इसे “सच को उजागर करने वाली साहसी फिल्म” बताया है।
अमित शाह का बयान
अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर का पोस्ट री-शेयर करते हुए लिखा:
“कोई भी पावरफुल इकोसिस्टम कितनी भी कोशिश कर ले, वो सच को अंधेरे में छुपाए नहीं रख सकता। ‘द साबरमती रिपोर्ट’ इकोसिस्टम को चुनौती देती है और उस भयावह घटना के पीछे की सच्चाई को उजागर करती है।”
यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और फिल्म को लेकर एक नई बहस को जन्म दे रहा है।
पीएम मोदी ने भी की थी तारीफ
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फिल्म की सराहना की थी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा:
“खूब कहा है। यह अच्छा है कि यह सच सामने आ रहा है। एक फेक नैरेटिव सिर्फ लिमिटेड समय तक ही कायम रह सकता है। आखिरकार, फैक्ट हमेशा सामने आता है।”
प्रधानमंत्री के इस बयान ने न केवल फिल्म की लोकप्रियता बढ़ाई, बल्कि इसके संदेश को भी बल दिया।
क्या है ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की कहानी?
‘द साबरमती रिपोर्ट’ 2002 के गोधरा कांड पर आधारित है। इस फिल्म में उस भयावह घटना को दर्शाया गया है, जब साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में आग लगा दी गई थी।
- घटना का प्रभाव: इस कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसने देश को झकझोर कर रख दिया था।
- फिल्म की कहानी: यह फिल्म न केवल घटना के तथ्यों को सामने लाने का प्रयास करती है, बल्कि उसके पीछे की साजिशों और राजनीतिक दांव-पेंचों को भी उजागर करती है।
फिल्म को लेकर विवाद और आलोचना
फिल्म को लेकर दो गुट बन गए हैं:
- समर्थन करने वाले: वे लोग जो मानते हैं कि यह फिल्म सच को सामने लाने का साहसिक प्रयास है।
- आलोचक: जो इसे एक पक्षपाती और विवादास्पद फिल्म मानते हैं, जो सांप्रदायिक तनाव को और भड़का सकती है।
फिल्म पर “सांप्रदायिक एजेंडा चलाने” का आरोप भी लगाया गया है, लेकिन इसके समर्थकों का कहना है कि यह सच्चाई को उजागर करने की कोशिश है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
फिल्म और अमित शाह के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं:
- समर्थक:
- “यह फिल्म सच्चाई को सामने लाने का काम कर रही है।”
- “अमित शाह और पीएम मोदी ने सही कहा, सच को दबाया नहीं जा सकता।”
- आलोचक:
- “यह फिल्म सिर्फ एक वर्ग विशेष को निशाना बनाती है।”
- “ऐसी फिल्मों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।”
फिल्म का राजनीतिक प्रभाव
2002 के गोधरा कांड से जुड़े मुद्दे पर बनी यह फिल्म एक संवेदनशील विषय पर आधारित है।
- बीजेपी के लिए फायदेमंद?: पीएम मोदी और अमित शाह जैसे नेताओं के बयान से फिल्म को चुनावी मुद्दा बनाए जाने की संभावना है।
- विपक्ष की आलोचना: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस फिल्म को एकपक्षीय बताकर इसकी आलोचना कर सकते हैं।
निष्कर्ष
‘द साबरमती रिपोर्ट’ न केवल एक फिल्म है, बल्कि 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद की घटनाओं पर आधारित एक दस्तावेज है। पीएम मोदी और अमित शाह जैसे नेताओं की सराहना ने इसे एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बना दिया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म आने वाले दिनों में क्या प्रभाव डालती है, खासकर देश की राजनीति और जनता की मानसिकता पर।