एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, पूर्व छात्रों और हस्तियों में खुशी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी का स्वागत करते हुए पूर्व छात्र और इससे जुड़े व्यक्ति खुश हैं। कोर्ट ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले को नई पीठ को सौंपने और 1967 के फैसले को खारिज करने का निर्णय लिया, जिसमें एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने से मना किया गया था।
एएमयू समुदाय में उत्साह
एएमयू के पूर्व रजिस्ट्रार प्रोफेसर फैजान मुस्तफा और पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने इस फैसले को एएमयू और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए ऐतिहासिक जीत बताया। एएमयू की उर्दू अकादमी के पूर्व निदेशक डॉक्टर राहत अबरार और सामरिक और सुरक्षा अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आफताब आलम ने भी इस फैसले की सराहना की।
संसद में निजी विधेयक की पहल
समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली के लिए संसद में निजी विधेयक प्रस्तुत करने का संकल्प लिया है। 1981 में संसद ने एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा बहाल किया था, जिसे 2005 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 4:3 के बहुमत से कोर्ट ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले को नई पीठ को सौंपने का निर्णय लिया, जिससे 1967 के फैसले से उत्पन्न भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके।