Chhath Puja 2024: खरना पूजा के साथ आरंभ हुआ निर्जला उपवास
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना पूजा के रूप में मनाया जा रहा है। पूर्वांचल और उत्तर भारत के हिस्सों में विशेष आस्था के इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हो चुकी है। आज व्रती महिलाएं खरना पूजा कर छठी मैया का स्वागत करती हैं, जिससे 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ होता है।
खरना का महत्व और विधि
खरना पूजा का अर्थ शुद्धता से है। इस दिन व्रती नहाने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर साठी के चावल, गुड़ और दूध से बनी खीर का भोग तैयार किया जाता है, जो छठी मैया को अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं और घर के अन्य सदस्यों को भी प्रसाद देती हैं। इस विधि के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो जाता है।
चार दिवसीय छठ महापर्व का विधान
छठ पूजा का आयोजन चार दिनों तक चलता है और यह नहाय-खाय से शुरू होकर सप्तमी तिथि पर समाप्त होता है। 6 नवंबर को खरना पूजा के बाद षष्ठी तिथि पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, और 7 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ इस महापर्व का समापन होगा।
अस्ताचलगामी और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य
षष्ठी तिथि को व्रती महिलाएं तालाब, नदी या जलाशयों में खड़ी होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करती हैं। सप्तमी की तिथि को प्रातः काल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। दीप जलाकर रात भर जागरण किया जाता है और गीतों व कथाओं के माध्यम से भगवान सूर्य की महिमा का गुणगान किया जाता है।