महाराष्ट्र चुनाव 2024: राज ठाकरे का बड़ा बयान, शिवसेना और NCP के चुनाव चिह्न पर उठाए सवाल
महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव 2024 से पहले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने राजनीति में तोड़फोड़ और चुनाव चिह्न विवाद पर अपनी राय जाहिर की है। शिवसेना में विभाजन पर बात करते हुए राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “शिवसेना और धनुष-बाण ना तो उद्धव ठाकरे की संपत्ति है और ना ही एकनाथ शिंदे की। यह बालासाहेब ठाकरे की विरासत है।”
शरद पवार पर लगाए गंभीर आरोप
राज ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जातियों के बीच भेदभाव और राजनीतिक तोड़फोड़ की शुरुआत शरद पवार ने की थी। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में जातीय भेदभाव के बीज बोने में शरद पवार का हाथ है। 2024 का चुनाव महाराष्ट्र के भविष्य का चुनाव है। अगर बार-बार वही लोग सत्ता में आएंगे, तो महाराष्ट्र को कोई नहीं बचा सकता।”
उद्धव ठाकरे पर विचारों से समझौते का आरोप
राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 2019 के चुनावों के बाद सत्ता के लिए विचारों से समझौता किया गया। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन सत्ता के लिए उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया। “आपने अपने मतदाताओं के साथ विचारों का अपमान किया,” उन्होंने कहा।
राजनीतिक पार्टियों में बगावत और गठबंधनों पर टिप्पणी
राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में राजनीतिक गठबंधन और बगावत पर बात करते हुए कहा, “लोगों ने शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को वोट दिया। फिर अजित पवार ने अलग होकर शपथ ग्रहण की। मुख्यमंत्री पद के लिए अपने स्वार्थ के कारण गठबंधन को तोड़ा गया। मुख्यमंत्री रहते हुए 40 विधायक पार्टी छोड़कर चले गए और उन्हें भनक तक नहीं लगी।”
एकनाथ शिंदे पर तंज
एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष करते हुए राज ठाकरे ने कहा, “जो व्यक्ति 40 विधायकों को लेकर गया, उसने कहा कि अजित पवार के साथ बैठना पसंद नहीं था। लेकिन आज वही व्यक्ति उनके साथ बैठा है। यह राजनीति में स्वार्थ और विचारों का समझौता दिखाता है।”
“तोड़फोड़ की राजनीति शरद पवार ने शुरू की” – राज ठाकरे
राज ठाकरे ने शरद पवार पर आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में तोड़फोड़ की राजनीति की शुरुआत उन्हीं ने की थी। उन्होंने कहा कि 1978 में शरद पवार ने अपनी पार्टी से बगावत कर मुख्यमंत्री पद हासिल किया। उन्होंने 1992 में शिवसेना में विभाजन किया और 2005 में नारायण राणे के विधायकों को भी तोड़ा। पिछले पांच साल में पार्टी का चुनाव चिह्न और नाम भी छिन लिया गया है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र के आगामी चुनाव में ये बयान राजनीतिक माहौल को और गरमा सकते हैं। राज ठाकरे का यह बयान उनकी स्पष्ट सोच और राज्य की राजनीति में बदलाव की उनकी इच्छा को दर्शाता है। उनके अनुसार, यह चुनाव राज्य के भविष्य के लिए अहम साबित होगा।