Sunday, June 8, 2025
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छोटी दिवाली को रूप चतुर्दशी क्यों कहते हैं,रूप चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है: रोचक कथा

छोटी दिवाली को रूप चतुर्दशी क्यों कहते हैं,रूप चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है: रोचक कथा

Roop Chaudas 2024: छोटी दिवाली को रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है और इसका एक विशेष महत्व है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान हनुमान का जन्म माता अंजना के गर्भ से हुआ था, और इस दिन भक्त उनके नाम से पूजा-अर्चना करते हैं, हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ करते हैं।

रूप चतुर्दशी का महत्व और पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा हिरण्यगभ ने राज-पाट छोड़कर तपस्या का मार्ग अपनाया। लंबे समय तक तप करने के कारण उनके शरीर में कीड़े पड़ गए। परेशान राजा ने अपनी व्यथा नारद मुनि को सुनाई। नारद मुनि ने सलाह दी कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शरीर पर उबटन लगाकर सूर्योदय से पहले स्नान करें और श्रीकृष्ण की पूजा करें। ऐसा करने से राजा फिर से सुंदर हो गए और तभी से इस दिन को ‘रूप चतुर्दशी’ के नाम से मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व: यमराज के लिए दीपदान की परंपरा

इस दिन से जुड़ी एक और कथा है जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके दैत्यराज बलि से संपूर्ण पृथ्वी नाप ली थी। दैत्यराज बलि ने भगवान वामन से प्रार्थना की कि चतुर्दशी के दिन जो भी यमराज के लिए दीपदान करेगा, उसे यम यातना नहीं भोगनी पड़ेगी। वामन अवतार ने बलि को आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति चतुर्दशी के दिन दीपदान करेगा, उनके पूर्वज कभी नरक में नहीं रहेंगे। इस वरदान के साथ ही दीपावली के तीन दिनों तक दीपदान की परंपरा का आरंभ हुआ।

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