कर्नाटक हाईकोर्ट का CM सिद्धारमैया को झटका: राज्यपाल की मंजूरी को सही ठहराया
कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत की ओर से एफआईआर दर्ज कराने की मंजूरी को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को किसी भी व्यक्ति की शिकायत पर मामला दर्ज कराने का अधिकार है, और उनकी मंजूरी कानूनी है।
सिद्धारमैया की पत्नी पर लगे आरोप
यह मामला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती के खिलाफ लगे आरोपों से जुड़ा है। आरोप है कि पार्वती को उनकी जमीन के बदले MUDA ने मुआवजे के तौर पर अधिक मूल्य वाली साइटें आवंटित की थीं।
MUDA केस घटनाक्रम:
- 1992: निंगा की 16 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना।
- 2001: भूमि का उपयोग देवनूर लेआउट के लिए।
- 2010: सिद्धारमैया की पत्नी को भूमि उपहार में दी गई।
- 2022: पार्वती को 14 भूखंड आवंटित।
- 2024: राज्यपाल ने जांच की मंजूरी दी।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल की मंजूरी सही है और याचिका खारिज कर दी गई है, जिससे यह मामला अब और बड़ा रूप ले सकता है।
राजनीतिक घमासान तेज होने की संभावना
इस फैसले के बाद विपक्षी दल कर्नाटक में आगामी चुनावों को देखते हुए इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं। खासकर बीजेपी और जेडीएस इस मामले को लेकर जनता के बीच एक बड़ा अभियान चला सकते हैं।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
अब जब हाई कोर्ट ने राज्यपाल की मंजूरी को वैध ठहराया है, सिद्धारमैया को कानूनी तौर पर एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच की प्रक्रिया और तेजी से आगे बढ़ सकती है, जो उनकी छवि को और प्रभावित कर सकती है। हालांकि, संभावना है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
सिद्धारमैया का पक्ष
इस पूरे प्रकरण में सिद्धारमैया ने आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि यह मामला “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उनका इस पूरे भूमि आवंटन मामले से कोई लेना-देना नहीं है।