Friday, March 14, 2025
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Tirupati Temple Row: ‘सनातन धर्म की अस्मिता संग बलात्कार, आरोपियों को सूली पर चढ़ा दो’, तिरुपति लड्डू विवाद पर भड़के जगतगुरु शंकराचार्य

Tirupati Temple Row: ‘सनातन धर्म की अस्मिता संग बलात्कार, आरोपियों को सूली पर चढ़ा दो’, तिरुपति लड्डू विवाद पर भड़के जगतगुरु शंकराचार्य

तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में मिलावटी प्रसाद को लेकर जगतगुरु शंकराचार्य प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस घटना में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और अन्य आरोपियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

धार्मिक आस्था का अपमान

शंकराचार्य प्रज्ञानानंद ने कहा, “प्रसाद सिर्फ एक आहार नहीं है, यह धार्मिक आस्था का प्रतीक है। मिलावट कर हिंदू धर्म और सनातन धर्म की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया गया है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह सनातन धर्म के साथ बलात्कार है।”

जगन मोहन रेड्डी पर निशाना

पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर हमला बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि रेड्डी ईसाई धर्म के लिए काम कर रहे हैं और राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों को सूली पर चढ़ाया जाना चाहिए। ये सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं। अब समय आ गया है कि मंदिरों को सरकारी तंत्र से मुक्त किया जाए।”

सनातन धर्म को खत्म करने की साजिश

शंकराचार्य ने आगे कहा, “बांग्लादेश से प्रभावित मुसलमान और यहां के शासक इस्लाम तंत्र से सनातन धर्म को खत्म करना चाहते हैं। ईसाई शक्तियां देश में धर्मांतरण करा रही हैं। तिरुमाला मंदिर में ईसाई को अध्यक्ष बनाए जाने के समय ही इसका विरोध करना चाहिए था। सभी हिंदू पक्षकारों को इसका विरोध करना चाहिए था।”

सनातन धर्म बोर्ड की मांग

जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा, “सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन आवश्यक है। मंदिरों को इस बोर्ड के अंतर्गत लाया जाना चाहिए और सरकार को मंदिरों से दूर रखना चाहिए। प्रसाद में मिलावट करना न केवल षड्यंत्र है बल्कि यह अपराध है। ऐसे अपराधियों को जनता के सामने लाकर उन्हें सजा दी जानी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि मंदिरों का शुद्धिकरण आवश्यक है, और सभी पुजारियों, कर्मचारियों और अधिकारियों को हटाकर शुद्धिकरण किया जाना चाहिए। सनातन धर्म के रक्षण के लिए तत्काल एक बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए और वेद-प्रणीत धर्म मानने वाले ही मंदिरों का संचालन कर सकें।

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