हिंद महासागर में कसेगा ड्रैगन पर शिकंजा, भारत-USA जल्द उठा सकते हैं बड़ा कदम
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, भारत और अमेरिका ने इस क्षेत्र में एक साथ काम करने का निर्णय लिया है। अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट एम कैंपबेल ने हाल ही में हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी रिपब्लिकन में बयान देते हुए कहा कि अमेरिका और भारत हिंद महासागर पर एक सत्र आयोजित करेंगे, जिसमें दोनों देशों की चिंताओं और संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी।
भारत-अमेरिका सहयोग
WION की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका हिंद महासागर में भारत जैसे विश्वसनीय साझेदार के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक है। यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जहां से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में शिपिंग यातायात गुजरता है। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया का 60 प्रतिशत समुद्री व्यापार इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसमें एक तिहाई कंटेनर कार्गो और दो-तिहाई तेल शिपमेंट शामिल हैं।
चीन की बढ़ती उपस्थिति
चीन ने हाल के वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। 2017 में जिबूती में एक सैन्य अड्डा स्थापित करने के बाद, माना जा रहा है कि अगले चार वर्षों में चीन एक स्थायी विमानवाहक पोत भी यहां तैनात कर सकता है। इस स्थिति से भारत और अमेरिका दोनों ही चिंतित हैं, और इसीलिए दोनों देश इस मुद्दे पर मिलकर काम करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
निष्कर्ष
चीन की बढ़ती उपस्थिति और उसकी सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर, भारत और अमेरिका हिंद महासागर में सामरिक रूप से सहयोग करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और वैश्विक व्यापार के प्रमुख मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।