Saturday, April 19, 2025
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‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के विरोध में विपक्ष के तर्क और सरकार के सामने चुनौतियाँ

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के विरोध में विपक्ष के तर्क और सरकार के सामने चुनौतियाँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ यानी एक देश, एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई लेवल कमेटी की सिफारिशों पर आधारित किया गया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना है, लेकिन इसे लेकर विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं और कुछ दल इसका समर्थन कर रहे हैं।

क्या है ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ प्रस्ताव?

इस प्रस्ताव के अनुसार, पूरे देश में एक साथ चुनाव होंगे। इसके तहत:

  • लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले चरण में होंगे।
  • नगर निकाय और पंचायत चुनाव दूसरे चरण में 100 दिन बाद आयोजित किए जाएंगे।
  • एक ही वोटर लिस्ट का इस्तेमाल किया जाएगा।

अगर कोई सरकार अपना बहुमत खो देती है, तो उस स्थिति में बाकी कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जाएंगे।

विपक्ष का विरोध क्यों?

विपक्ष के मुताबिक, इस प्रणाली से क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान होगा क्योंकि:

  1. क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान नहीं: विधानसभा चुनावों में भी राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे, जिससे क्षेत्रीय पार्टियों को मतदाताओं का ध्यान खींचने में कठिनाई होगी।
  2. क्षेत्रीय पार्टियों की अहमियत कम: इस प्रणाली से क्षेत्रीय पार्टियों का प्रभुत्व कमजोर होगा।
  3. संविधान संशोधन का मुद्दा: विपक्ष इसे संविधान के मौलिक ढांचे के साथ छेड़छाड़ मानता है और यह मानता है कि इससे लोकतंत्र की भावना प्रभावित हो सकती है।

सरकार के सामने चुनौतियाँ

  1. संविधान संशोधन: ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174, और 356 में संशोधन करना होगा। इसके लिए सरकार को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
  2. विपक्ष का समर्थन: सरकार को इस प्रस्ताव के लिए विपक्ष का समर्थन प्राप्त करना होगा, जो फिलहाल इसे लेकर एकमत नहीं है।
  3. मैनपावर और संसाधन: एक साथ चुनाव कराने के लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों और मैनपावर की आवश्यकता होगी। ईवीएम और पेपर ट्रेल मशीनों की भारी संख्या में खरीदारी करनी पड़ेगी, जिसका खर्च काफी बढ़ सकता है।

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के फायदे

  1. विकास कार्यों में रुकावट नहीं: बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में बाधा आती है, जो एक साथ चुनाव कराने से नहीं होगी।
  2. खर्च में बचत: बार-बार चुनाव कराने में जो खर्च होता है, वह एक बार चुनाव कराने से कम हो जाएगा।
  3. काले धन पर लगाम: बार-बार चुनाव कराने से जो काला धन इस्तेमाल होता है, उस पर भी अंकुश लगेगा।

किसने समर्थन किया और किसने विरोध?

समर्थन करने वाले दल: AIADMK, बीजू जनता दल, शिवसेना (शिंदे गुट), जनता दल (यू), मिजो नेशनल फ्रंट और कई अन्य दल इस प्रस्ताव के समर्थन में हैं।
विरोध करने वाले दल: तृणमूल कांग्रेस, AIMIM, समाजवादी पार्टी, DMK, और कई अन्य दलों ने इसका विरोध किया है।
अब तक कोई प्रतिक्रिया न देने वाले दल: नेशनल कॉन्फ्रेंस, वाईएसआर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, और तेलुगु देशम पार्टी जैसे दल अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

निष्कर्ष

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से जहां चुनावी खर्च और प्रशासनिक जटिलताओं में कमी आ सकती है, वहीं विपक्ष के अनुसार, इससे क्षेत्रीय पार्टियों और उनके मुद्दों का नुकसान हो सकता है। सरकार को इसे लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन के साथ-साथ राजनीतिक सहमति भी हासिल करनी होगी, जो एक बड़ी चुनौती है।

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