Sunday, June 8, 2025
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ममता बनर्जी संग मीटिंग पर जूनियर डॉक्टर्स का जवाब: प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए कई सवाल

ममता बनर्जी संग मीटिंग पर जूनियर डॉक्टर्स का जवाब: प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए कई सवाल

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना पर राजनीतिक पारा काफी हाई है। इस मुद्दे को लेकर पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट और ऑल नेशनल RDAs ने 16 सितंबर को कोलकाता प्रेस क्लब में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उठाए गए सवाल:

डॉ. अरिशा ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, “पुरी CCTV फुटेज CBI को क्यों नहीं सौंपी गई? चालान कहां गया? और पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दी क्यों किया गया?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि DC North की तरफ से पीड़िता के परिजनों को पैसे की कथित पेशकश अपराध को छुपाने की कोशिश दिखाती है।

कोलकाता पुलिस कमिश्नर पर उठाए सवाल:

डॉ. अरिशा ने कहा कि 15 अगस्त को उग्र भीड़ ने उन पर हमला किया, लेकिन कोलकाता पुलिस के आयुक्त ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली। उन्होंने दोषियों को दंडित किए जाने की मांग की और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की अपील की।

डॉक्टरों की मांगें:

  1. अक्षम और लापरवाह पुलिस अधिकारियों को पद से हटाया जाए।
  2. कोलकाता पुलिस कमिश्नर, DC North, और DC Central पर कार्रवाई हो।
  3. सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
  4. हर ऑन-कॉल रूम में पैनिक बटन इंस्टॉल किया जाए।
  5. सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में थ्रेट कल्चर को खत्म किया जाए और हर मेडिकल कॉलेज में छात्र संघ चुनाव आयोजित किया जाए।

डॉ. बिप्रेश ने कहा कि वे अभी भी अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं, इसलिए काम पर वापस नहीं लौटे हैं।

CM ममता बनर्जी के साथ बैठक पर:

डॉ. बिप्रेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सीएम ममता बनर्जी के साथ प्रस्तावित बैठक में जाने का निर्णय जूनियर डॉक्टर्स से बातचीत के बाद लिया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। पिछली बार हम बारिश में 2 से ढाई घंटे तक इंतजार करते रहे, और वीडियो रिकॉर्डिंग की हमारी मांग को मान्यता नहीं दी गई।”

IPGMER कोलकाता की सुनंदा घोष ने कहा, “अभी भी डर का माहौल बना हुआ है। कई मेडिकल कॉलेजों में थ्रेट कल्चर जारी है, जिसमें परीक्षा में फेल कराने से लेकर थीसिस सबमिट ना करने तक के मुद्दे शामिल हैं।”

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