क्या भारत में CAA लागू होने से मुस्लिम प्रवासियों और इस्लाम पर क्या असर होगा,या किसी प्रकार का प्रतिबंध लगेगा ? जानिए मोदी सरकार का जवाब
जब से राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू हुआ है, तब से कई विवाद हो रहे हैं। इसे लेकर विपक्ष हमेशा सरकार की आलोचना करता रहा है. साथ ही सरकार ने दोहराया कि सीएए भारत में मुसलमानों की आजादी और अवसरों को कम नहीं करेगा. सरकार ने यह भी कहा कि दुनिया भर के मुसलमानों पर भारतीय नागरिकता लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
दरअसल, विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके. बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सोमवार (11 मार्च) को सीएए के नियमों को नोटिफाई किया. इस तरह सीएए 2019 में पास होने के चार साल बाद लागू हुआ. इसके तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
सरकार ने क्या जवाब दिया है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के तहत आने वाले गृह मंत्रालय ने कहा, ‘नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमान भारतीय नागरिकता मांग सकते हैं. ये प्राकृतिककरण यानी नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता से जुड़ा हुआ है.’ मंत्रालय ने कहा, ‘इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने की वजह से इस्लामिक देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में सताए जाने वाले मुस्लिमों को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है.’
मंत्रालय ने आगे कहा, ‘सीएए नेचुरलाइजेशन को रद्द नहीं करता है. इसलिए, किसी भी विदेशी देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है.’ गृह मंत्रालय ने कहा कि भारतीय मुस्लिमों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए में उनकी नागरिकता पर असर डालने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसका वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है. उनके पास भी बाकी के नागरिकों की तरह ही अधिकार हैं.