CAA के लागू होते ही हिरासत केंद्रों की चर्चा, जानिए इसके अंदर के क्या हैं नियम?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट लागू कर दिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने खुद इसकी घोषणा की है. ये लागू होने से भारतीय नागरिकता से जुड़े 2 नियमों पर तुरंत असर होगा.
2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के आए अल्पसंख्यकों को आसानी से नागरिकता मिलेगी.
अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान कर पहले उसे डिटेंशन सेंटर और फिर अपने देश वापस भेजा जाएगा.
डिटेंशन सेंटर को हिरासत केंद्र भी कहा जाता है और यह जेल की तरह होता है. इस सेंटर में अवैध रूप से रह रहे लोगों को नजरबंद किया जाता है. वर्तमान में भारत में डिटेंशन सेंटर की संख्या 9 है, जिसमें से 6 चालू है.
इस स्पेशल स्टोरी में डिटेंशन सेंटर की पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं-
दुनिया में डिटेंशन सेंटर का इतिहास
पहली बार 15वीं शताब्दी में डिटेंशन सेंटर आस्तित्व में आया. फ्रांस में साल 1417 में वास्तुकार ह्यूगेज ऑब्रिअट ने एक डिटेंशन सेंटर का खाका तैयार किया था. यह 8 टावरों वाला केंद्र था, जिसे बेसिले सैंट-एंटोनी के नाम से भी जाना जाता है.
फ्रांस से राजा इस डिटेंशन सेंटर में अवैध प्रवासी और युद्धबंदियों को रखते थे. कहा जाता है कि डिटेंशन सेंटर के वास्तुकार ह्यूगेज ऑब्रिअट को भी आखिर वक्त में इसी केंद्र में रखा गया था.
CAA के लागू होते ही हिरासत केंद्रों की चर्चा, जानिए इसके अंदर के क्या हैं नियम?
अमेरिका ने 1892 में अपना पहला डिटेंशन सेंटर तैयार किया था. अभी दुनिया में सबसे ज्यादा डिटेंशन सेंटर अमेरिका में ही है.
द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त डिटेंशन सेंटर तब सुर्खियों में आया, जब नाजी सैनिकों ने कैंप में रह रहे यहूदियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया. यूएस होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम की मानें तो जर्मनी ने आश्विच कंसन्ट्रेशन कैंप में 9 लाख 60 हजार यहूदियों को मरवा दिया.
दावे के मुताबिक मारने से पहले यहूदियों को कई तरह की यातनाएं दी गई थी. कहा जाता है कि यह सब हिटलर के आदेश पर किया गया था.
असम में बना भारत का पहला डिटेंशन सेंटर
2009 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक निर्देश के बाद असम सरकार ने डिटेंशन सेंटर पर काम करना शुरू किया. 2011 में असम के ग्वालपाड़ा में पहला डिटेंशन सेंटर बनाया गया. इस सेंटर में 1000-1200 लोगों को रखा जा सकता है.
असम में इसके बाद 2020 तक कुल 6 डिटेंशन सेंटर बनाए गए. यह डिटेंशन सेंटर ग्वालपाड़ा, कोकराझाड़, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिलचर जेल में बनाया गया है.
CAA के लागू होते ही हिरासत केंद्रों की चर्चा, जानिए इसके अंदर के क्या हैं नियम?
असम के अलावा महाराष्ट्र में भी डिटेंशन सेंटर को तैयार करने की योजना पर काम चल रहा है. 2023 में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बालेगांव में डिटेंशन सेंटर बनाने की घोषणा की थी.
इसके अलावा गोवा और दिल्ली में भी डिटेंशन सेंटर के निर्माण को लेकर प्रस्ताव है.
जेल से अलग कैसे होता है डिटेंशन सेंटर?
कैदियों को रखने के तौर-तरीके को छोड़ दिया जाए तो भारत में जेल और हिरासत केंद्र में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. जेल में विचाराधीन या सजायफ्ता कैदियों को सुधार के लिए रखा जाता है. वहीं हिरासत केंद्र में रखे जाने वाले व्यक्ति अवैध अप्रवासी हैं.
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक डिटेंशन सेंटर में 3 साल तक रहने वाले अप्रवासी को उसके घर वापस भेजा जा सकता है. डिटेंशन सेंटर में पानी, बिजली और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएं अनिवार्य किया गया है.
भारत में डिटेंशन सेंटर को लेकर कोई अलग से मैन्युअल नहीं है, जबकि जेल में नियम कानून के लिए कई तरह के मैनुअल है. भारत में लंबे वक्त से डिटेंशन सेंटर का भी मैनुअल तैयार किए जाने की मांग उठ रही है.
भारत में डिटेंशन सेंटर का स्ट्रक्चर कैसा है?
केंद्र सरकार के मुताबिक भारत में अभी 6 डिटेंशन सेंटर गतिशील है, जो नियमों के तहत चलाए जा रहे हैं. केंद्र के मुताबिक डिटेंशन सेंटर को सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैयार किया गया है.
सभी डिटेंशन सेंटर में बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएं हैं. इसके अलावा सोने के लिए बेड, साफ शौचालय और मेडिकल सुविधा की व्यवस्था भी सभी डिटेंशन सेंटर में किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक एक डिटेंशन सेंटर में करीब 1200-1600 लोगों की रहने की व्यवस्था है. असम की तर्ज पर ही महाराष्ट्र और अन्य राज्य डिटेंशन सेंटर बनाने में जुटा है.
मानवाधिकार आयोग ने 2018 में असम के डिटेंशन सेंटर का दौरा किया था. इसके मुताबिक हिरासत केंद्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों को सौंपी गई है.
वहीं असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल और सिपाही 24X7 डिटेंशन सेंटर की निगरानी करते हैं.
केंद्र या राज्य, डिटेंशन सेंटर का खर्च कौन उठाता है?
बड़ा सवाल यही है कि भारत में डिटेंशन सेंटर का खर्च कौन उठाता है? 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की जो प्रशासन व्यवस्था है, वो अपने जरूरत के हिसाब से डिटेंशन सेंटर बनाती है.
यानी जेल की तरह ही राज्य सरकार ही डिटेंशन सेंटर को चलाने का कार्य करती है. इसका बजट भी राज्य सरकार ही बनाती है. राज्य की ओर से क्रियान्वयन के लिए एक डिटेंशन सेंटर पर कितना खर्च किया जा रहा है, इसका डेटा अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
क्रियान्वयन से इतर केंद्र ने 2019 में गोलपाड़ा में भारत के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए राज्य सरकार को 46 करोड़ रुपए का सहयोग दिया था. कहा जा रहा है कि इस सेंटर में करीब 3000 लोगों को रखा जा सकता है.
भारत में अभी कितने अवैध अप्रवासी है?
2020 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि अभी तक लिखित तौर पर 1 लाख 10 हजार अवैध प्रवासी भारत में हैं. सरकार का कहना है कि यह संख्या उन लोगों की है, जो बांग्लादेश से वीजा लेकर आए थे, लेकिन गए नहीं.
केंद्र के मुताबिक बॉर्डर क्रॉस कर आने वाले अवैध प्रवासियों का डेटा इकट्ठा कर पाना आसान नहीं है.
2024 में असम विधानसभा में मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि राज्य में 1 लाख 59 हजार बाहरी लोगों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें जल्द ही बाहर भेजा जाएगा.