Sunday, December 22, 2024
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आत्मविश्वास से भरे पीएम मोदी ने कहा, नजर 400 सीटों पर; 7 महीने में कैसे बदला NDA का स्ट्रक्चर?

आत्मविश्वास से भरे पीएम मोदी ने कहा, नजर 400 सीटों पर; 7 महीने में कैसे बदला NDA का स्ट्रक्चर?

भारतीय जनता पार्टी पहली बार 40 से अधिक सहयोगियों के साथ 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। जयंत चौधरी की पार्टी के आने से एनडीए में कुल दलों की संख्या 40 हो गई है. कहानी ये है कि चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी गठबंधन में शामिल होगी.

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी कमांडर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और तेलंगाना में बीआरएस से भी बातचीत कर रहे हैं. यदि सुविधा समझौते पर सहमति बन जाती है, तो चुनाव बुलाए जाने से पहले दोनों दल एनडीए में शामिल हो सकते हैं।

अभी एनडीए में कौन-कौन से दल हैं?

फिलहाल, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में राष्ट्रीय स्तर की 2 (भारतीय जनता पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी) और क्षेत्रीय स्तर की 40 पार्टियां शामिल हैं. क्षेत्रीय दलों शिवसेना, पीजेपी, एनसीपी और आरपीआई (महाराष्ट्र), जेडीयू, आरएलजेडी, लोजपा-रामविलास, रालोजपा, हम (बिहार), आजसू (झारखंड), आरएलडी, सुभाषपा, अपना दल-सोनेलाल और निषाद पार्टी (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं.

एनडीए में हरियाणा से जेजेपी, कर्नाटक से जेडीएस, असम से एजीपी, तमिलनाडु से पीएमके और तमिल मनीला कांग्रेस जैसी पार्टियां शामिल हैं. गोवा की महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी और पुडुचेरी के एनआर कांग्रेस भी एनडीए का हिस्सा है.

इसके अलावा पूर्वोत्तर की सिक्किम नेशनल फ्रंट, एनडीपीपी जैसी कम से कम 10 पार्टियां एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.

7 महीने में बदला एनडीए का स्ट्रक्चर

जुलाई 2023 में दिल्ली के अशोका होटल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की बैठक हुई थी. उस बैठक में 38 दलों को बुलाया गया था. हालांकि इन 38 में से कई ऐसे भी दल थे, जिसका जमीन पर राजनीतिक जनाधार या तो नहीं था या न के बराबर था.

इंडिया गठबंधन के दलों ने एनडीए के कुनबे पर तंज भी कसा, लेकिन 7 महीने में अब एनडीए का पूरा स्ट्रक्चर बदल चुका है.

एनडीए में अब जनता दल यूनाइटेड, जनता दल सेक्युलर और आरएलडी जैसी बड़ी पार्टियां शामिल हो गई हैं. इनमें से 2 पार्टियां जेडीयू और आरएलडी पहले इंडिया गठबंधन में थीं. जेडीयू बिहार में, आरएलडी यूपी में और जेडीएस कर्नाटक की राजनीति में प्रभावी हैं.

एनडीए गठबंधन कितने राज्यों में असरदार?

नेशनल डेमोक्रेटिक एलांयस वर्तमान में 25 राज्यों में सीधे तौर पर प्रभावी है. इसे 2 प्वॉइंट्स में विस्तार से समझते हैं-

1. बीजेपी कहां-कहां प्रभावी: वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, अरुणाचल, गोवा, त्रिपुरा में प्रभावी है. इन राज्यों में पार्टी अकेले दम पर सरकार में है.

इसके अलावा बीजेपी बिहार, महाराष्ट्र, सिक्किम और मेघालय में भी प्रभावी हैं और सरकार में दूसरे नंबर की भूमिका में है. झारखंड, बंगाल, हिमाचल और कर्नाटक में भी बीजेपी का मजबूत जनाधार है और पार्टी इन राज्यों में फिलहाल विपक्ष में है.

दक्षिण के तेलंगाना और तमिलनाडु में भी बीजेपी का जनाधार है, लेकिन यहां पार्टी तीसरे नंबर की भूमिका में है. जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी का अपना जनाधार है.

2. एनडीए के दल कहां-कहां असरदार: बिहार में जेडीयू, लोजपा (दोनों गुट), हम और आरएलजेडी सियासी तौर पर प्रभावी हैं. इसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी, पीजेपी और आरपीआई (अठावले) का मजबूत जनाधार है.

यूपी में अपना दल (सोनेलाल), आरएलडी, निषाद पार्टी और सुभाषपा का भी क्षेत्रीय स्तर पर जनाधार है. कर्नाटक में जेडीएस तीसरे नंबर की पार्टी है. असम और हरियाणा में जो सहयोगी है, उसी के बदौलत राज्य में एनडीए की सरकार है.

बात सीटों की करें तो एनडीए के दल लोकसभा की 500 सीटों पर सीधे तौर पर प्रभावी हैं. आंध्र की 25 और केरल की 20 सीटों ही एनडीए और उसके गठबंधन के दलों का कोई मजबूत जनाधार नहीं है.

एनडीए कब बना था, इतिहास क्या है?

एनडीए का मतलब है- नेशनल डेमोक्रेटिक एलांयस यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन. 1996 में संयुक्त मोर्चा की वजह से जब बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई तो 1998 में एनडीए बनाने की पहल हुई. एनडीए बनाने में जेडीयू के जॉर्ज फर्नांडिज और बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

एनडीए के घटक दल अब तक साथ में मिलकर 6 लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें से 4 में जीत हासिल की और केंद्र में सरकार बनाई एनडीए के पहले चेयरमैन अटल बिहारी वाजपेयी थे.

2004 से 2012 तक आडवाणी ही इसके चेयरमैन रहे. एनडीए में दूसरा अहम पद संयोजक का होता है. जार्ज फर्नांडिज एनडीए के पहले कन्वीनर (संयोजक) रहे. आडवाणी के समय शरद यादव एनडीए के संयोजक थे.

फिलहाल अमित शाह एनडीए के चेयरमैन हैं, लेकिन संयोजक का पद खाली है. अब यह पद फिर से जनता दल यूनाइटेड के किसी नेता को मिलने की बात कही जा रही है.

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