Sunday, June 8, 2025
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चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले पर हाईकोर्ट ने प्रशासन से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले पर हाईकोर्ट ने प्रशासन से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

मंगलवार, 30 जनवरी को, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव जीता, और अधिक पार्षद होने के बावजूद ‘इंडिया’ गठबंधन हार गया। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 16 और कांग्रेस-आप गठबंधन को 12 वोट मिले.

आम चुनाव से कुछ महीने पहले अखिल भारतीय संघ और भाजपा की पहली बैठक के साथ, संघ नेता नतीजे को लेकर गुस्से में हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस विधायक हड़ताल पर चले गए.

एसोसिएशन ने पार्षदों और पार्षदों के चुनाव का भी बहिष्कार किया। साथ ही, उन्होंने मेयर के फैसले के नतीजे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया।

क्यों नाराज हैं गठबंधन के पार्षद

दरअसल चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं. चुनाव से पहले बीजेपी के 14 पार्षद थे, केजरीवाल की आप के पास 13. वहीं कांग्रेस के पास 7 और शिरोमणि अकाली दल का 1 पार्षद थे.

इसका मतलब ये हुआ की आप-कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थी तो इंडिया गठबंधन के पास बीजेपी से ज्यादा यानी 20 पार्षद थे.

अब सवाल ये उठता है कि ज्यादा संख्या होने के बाद भी कांग्रेस-AAP का गठबंधन चंडीगढ़ मेयर चुनाव कैसे हार गया, इस रिपोर्ट में जानते हैं…

1. संख्या कम फिर भी कैसे जीती बीजेपी

इसे आसान भाषा में समझें तो मेयर पद पर जीत हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी के लिए जीत का जादुई आंकड़ा 19 होता है. इसके अलावा चंडीगढ़ का सांसद भी मेयर चुनाव में वोट डालता है. यानी कुल सीट 36 हो गई.

बीजेपी और अकाली दल का वोट मिलाकर बीजेपी के पास 15 पार्षद थे. इसके बाद चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने बीजेपी को अपना वोट दिया. कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी को 16 वोट मिले. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और आप के पास 20 वोट थे.

ऐसे में सबको उम्मीद थी कि इंडिया गठबंधन बड़ी ही आसानी से जीत जाएगी. लेकिन जब मेयर चुनाव का नतीजा आया तो रिजल्ट कुछ अलग ही था. रिजल्ट के अनुसार चुनाव में बीजेपी को कुल 16 वोट मिले थे. जबकि गठबंधन को केवल 12 वोट मिले. गठबंधन के 8 वोटों को काउंटिंग में शामिल ही नहीं किया गया. इतना ही नहीं ऐसा करने के पीछे कोई और वजह भी नहीं दी गई.

2. वोट कैंसिल नहीं होता तो आप-कांग्रेस का जीतना तय था

अब भले ही रिजल्ट में बीजेपी के जीत की घोषणा कर दी गई हो लेकर अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों के वोट को कैंसिल नहीं किया गया होता तो निश्चित तौर पर इंडिया गठबंधन की जीत होती.

3. आठ मतपत्र अवैध क्यों करार दिए गए?

इस पूरे मामले के बाद पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपने एक बयान में कहा, ”मतपत्र में कुछ टिकमार्क या निशान नहीं होने चाहिए. वोटिंग के बाद जिन आठ मतपत्रों में ऐसे निशान पाए गए, हमने उनको अमान्य करार कर दिया. हालांकि ये कारण भी उन्होंने चुनाव परिणाम पर होने वाले हंगामे के बाद दिया. ”

विपक्ष के आरोप भी जान लीजिए

8 वोट कैंसिल होने की कोई वजह नहीं मिलने के बाद विपक्ष ने हंगामा करना शुरू कर दिया. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इन मतपत्रों के वोट गिनने या अमान्य करार दिए जाने में धांधली हुई है. इतना ही नहीं आप पार्टी ने इस पूरे मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट जाने का फ़ैसला किया है.

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने इस पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा, “प्रीसाइडिंग ऑफिसर ने देशद्रोह किया है, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. मुकदमा चलना चाहिए. हम शिकायत करेंगे, कार्रवाई की मांग करेंगे बल्कि हम उनकी गिरफ़्तारी की मांग करेंगे.”

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