Sunday, June 8, 2025
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फरीदाबाद में नवजात बच्ची को ऑक्सीजन दिलाने की बजाय पिता ने झाड़ियों में फेंका, ऐसे बची जान

फरीदाबाद में नवजात बच्ची को ऑक्सीजन दिलाने की बजाय पिता ने झाड़ियों में फेंका, ऐसे बची जान

फरीदाबाद के सेक्टर-59 में चार दिसंबर को मलेरना सड़क के किनारे एक नवजात बच्ची ठिठुरन भरी ठंड में झाड़ियों में मिली. एक राहगीर ने इसकी सूचना पुलिस को दी.

दिल्ली से सटे फरीदाबाद (Faridabad) से एक ऐसी हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसे जानने के बाद निश्चित ही लोगों की आंखें नम हो जाएंगी. साथ ही यह विचार मन में कौंध उठेगा कि क्या यह उसी भारत देश की घटना है, जो तेजी से दुनिया में अपना नाम विकसित देशों की सूची में शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह घटना अमानवीयता के उस पहलू को दर्शाता है, जिसे हर किसी को जानना चाहिए ताकि अगर कोई ऐसा करता है तो लोग उसके खिलाफ आवाज उठा सके.

मामला फरीदाबाद का है, जहां चार दिसंबर को सेक्टर-59 में मलेरना सड़क के किनारे एक नवजात को ठिठुरन भरी ठंड में झाड़ियों में पड़ा पाया गया. हैरानी की बात यह है कि उसे किसी और ने नहीं बल्कि उसके ही अपने पिता ने जन्म के बाद मरने के लिए छोड़ दिया. ऐसे लोग जो बेटों की चाह में बेटियों को जन्म नहीं देना चाहते हैं, या फिर जन्म के बाद मारने के लिए ऐसे ही फेंक देते हैं, वे ये नहीं समझते हैं कि ‘जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो, बेटियां भी घर में उजाला करती हैं’. जिस नन्ही सी गुड़िया को सीने से लगा कर प्यार करना था, उसके पिता ने उसे प्यार तो दूर शायद जिंदा रहने के काबिल भी नहीं समझा.

राहगीर ने बच्ची को देखकर दी पुलिस को सूचना

ये तो भला हो उस राहगीर का, जिसे वहां से गुजरने के दौरान बच्ची के रोने की आवाज सुनाई पड़ी और जब उसने आवाज की दिशा में जाकर देखा तो पाया कि एक नवजात बच्ची ठंड में बिना कपड़ों के झाड़ियों में पड़ी हुई है और सर्दी की वजह से कांप रही है. उस राहगीर ने तुरंत ही इसकी सुचना, स्थानीय बल्लभगढ़ पुलिस को दी. इस सूचना पर बल्लभगढ़ महिला थाने की प्रभारी इंस्पेक्टर गीता अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची और बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया. बच्ची के पैर पर अस्पताल का टैग लगा हुआ था, जिस पर लिखा था ‘बेबी ऑफ नीतू.’

बच्ची की मां ने लगाया ये आरोप

पुलिस टीम ने बच्ची के परिजनों की तलाश से पहले उसका इलाज कराना ज्यादा जरूरी समझा, इसलिए उसे लेकर बादशाह खान अस्पताल पहुंची, जहां इलाज के बाद बच्ची की जान जाने से बची. इसी बीच नवजात बच्ची की मां उसे तलाशते हुए पुलिस के पास पहुंची. पुलिस को पता चला कि बच्ची का पिता पवन ही उसे मारना चाहता था. महिला ने पुलिस को बताया कि पवन उसका दूसरा पति है. महिला के अनुसार, उसके पहले पति की मौत हो चुकी है, इसलिए वह पवन के साथ शादी कर करीब दो साल से जाजरू गांव में रह रही है. पेशे से पवन मजदूरी का काम करता है और बच्ची उसी की है.

ऑक्सीजन दिलाने की बजाय फेंका सड़क के किनारे

महिला ने बताया कि दो दिन पहले उसने बल्लभगढ़ के सरकारी अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था, जिसे ऑक्सीजन की जरूरत थी, इसलिए उसे बादशाह खान अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. पवन बच्ची को लेकर बादशाह खान अस्पताल के लिए निकला था, लेकिन रास्ते में बच्ची को फेंक दिया. महिला के बयान के आधार पर सेक्टर-58 थाना पुलिस ने आरोपी पिता पवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और उसकी तलाश में जुट गई है.

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