ट्रैफिक चालान कम काटे जाने पर DGP ने जताई नाराजगी, शिमला समेत इन जिलों के SP को लिखी चिट्ठी
हिमाचल प्रदेश के डीजीपी की चिट्ठी पर शिमला के एसपी ने कहा कि चालान से दुर्घटना नहीं रुकती बल्कि अच्छी प्लानिंग से सड़क दुर्घटनाएं रोकी जाती हैं. उन्होंने यह बात मीडिया से कही.
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के छह जिलों में यातायात उल्लंघन (Traffic Violation) की अपेक्षा चालान कम काटे जाने को लेकर डीजीपी संजय कुंडू (Sanjay Kundu) ने संबंधित जिलों के एसपी से नाराजगी जाहिर की है और उन्हें चिट्ठी लिखकर मोटर वाहन अधिनियम के तहत ट्रैफिक चालान की संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयास तेज करने को कहा है. चिट्ठी में शिमला जिले में यातायात चालान में 45 प्रतिशत से अधिक की कमी बताई गई है.
उधर, शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी का कहना है कि चालान नहीं बल्कि अच्छी योजनाएं दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करती हैं और कहा कि दुर्घटनाओं की संख्या में 18 प्रतिशत, मौतों में 31 प्रतिशत और चोटों में 36 प्रतिशत की कमी आई है. एसपी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं, मौतों और घायलों की संख्या 2022 में क्रमश: 319, 160 और 631 थी जो 2023 में क्रमशः घटकर 260, 110 और 401 हो गई, जबकि जारी किए गए चालान की संख्या 2022 में 168347 थी वह 2023 में घटकर 85786 हो गई.
एसपी ने उपायों पर दी यह जानकारी
शिमला के एसपी ने यह भी बताया कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किस प्रकार के उपाय किए गए हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि इस दौरान वाहन चालकों और अन्य लोगों की जल्दबाजी और लापरवाही भरे व्यवहार पर भी ध्यान दिया गया था. उधर, हिमाचल में जारी किए गए ट्रैफिक चालान की संख्या 2022 में 7,47,951 थी जो कि इसी 2023 में अब तक घटकर 6,99,618 हो गई है. यह जानकारी बुधवार को यातायात, पर्यटक और रेलवे के डीआईजी ने अपने एक बयान में कही.
सुप्रीम कोर्ट की समिति ने भी जताई नाराजगी
सड़क सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय की समिति समय-समय पर यातायात संबंधी उपायों में राज्य पुलिस की प्रगति की निगरानी भी करती है. समिति ने यातायात के उल्लंघन की अपेक्षा की चालान कम काटे जाने पर प्रतिकूल टिप्पणी की है. यह जानकारी पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है.